सेक्‍स सर्वे 2019: यौन संतुष्टि सामाजिक मर्यादाओं के दायरे में होना जरूरी

दक्षिण भारत की तुलना में हिंदीभाषी राज्‍यों के स्त्री-पुरुष इस विषय से जुड़ी समस्याओं या इस संबंध में अपनी आशंकाओं के बारे में आमतौर पर सवाल कम ही उठाते रहे हैं.

यौन आनंद के कई नए आयाम देखे जा रहे हैं. गांवों की तुलना में शहरों में अतिरिक्त रोमांचक तौर-तरीके और प्रयोग हो रहे हैं यौन संबंधों के आनंद को लेकर सभी लोगों की पसंद में भी बदलाव देखा जा रहा है. हिंदीभाषी राज्‍यों के प्रमुख शहरों पर भी स्वाभाविक रूप से आधुनिकता का प्रभाव है. लेकिन पुरुष अब महिलाओं को पहले की तरह मानकर न चलें.

सेक्स पर खुलेपन के साथ होने वाली बातचीत कामुकता और यौन संतुष्टि के दायरे में सीमित न रहकर निश्चित रूप से यौन संबंधों की सुरक्षा और एचआइवी संक्रमण से जुड़े खतरों को लेकर भी होगी.

 

समाज में खुलेपन की बयार को अगर सकारात्मक चश्मे से देखा जाए तो वैवाहिक संबंधों को लेकर अधिकांश बातें फायदेमंद नजर आती हैं-सेक्स पर सवाल-जबाव सभी संबंधित मुद्दों पर जरूर होंगे.

वैवाहिक संबंधों की मजबूती में संतोषजनक सेक्स जीवन के समान रूप से महत्वपूर्ण होने के बावजूद पारंपरिक भारतीय समाज में इस पर बातचीत बहुत ही कम होती रही है. 

सफल वैवाहिक जीवन के सात आधार स्तंभ हैं-पति-पत्नी का एक-दूसरे पर भरोसा, परस्पर आदर, आपसी समझ, एक दूसरे के बारे में सोचना, संबंधों का निर्वहन, सहानुभूति और संतोषजनक सेक्स जीवन.

संबंधों की मधुरता के साथ-साथ पति-पत्नी में विवाद की स्थिति के त्वरित निबटारे की समझ और क्षमता दोनों बेहद जरूरी हैं.

अगर यौन संबंध संतोषजनक हों तो आम तौर पर यह देखा गया है कि रोजमर्रा की जिंदगी पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. 

यौन संतुष्टि को लेकर अगर पति-पत्नी खुलकर बात कर पाते हैं तो वे एक दूसरे की संवेदनाओं और अपेक्षाओं को अच्छी तरह समझ सकते हैंयौन संबंधों की सफलता पूरी तरह इस बात पर निर्भर करती है कि यौन साथी किस हद तक एक-दूसरे की भावनाओं की कद्र करते हैं.

 

पति-पत्नी या यौन साथियों के बीच जब खुला संवाद होता है तो वे अपनी इच्छाओं, अनिच्छाओं, आशाओं के बारे में भी स्पष्ट विचार व्यक्त करते हैं और यह सुखद सेक्स जीवन के लिए हमेशा हितकर है.

 

 

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