सुरक्षा के लिए रेलवे हटाएगा सेकेंड एसी…

सुरक्षा का हवाला देकर रेलवे सेकेंड एसी कोच से पर्दे हटा सकता है। इसमें उसे धन की बचत भी दिख रही है। अभी ट्रायल होगा व यात्रियों की राय के बाद ही अंतिम फैसला लिया जाएगा।

दरअसल, लगभग पांच साल पहले 28 दिसंबर 2013 को आंध्र प्रदेश के अनंतपुर में बेंगलुरू-नांदेड़ एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। ट्रेन में सवार दो बच्चों सहित 28 यात्री जिदा जल गए थे। जांच में पाया गया कि पर्दों की वजह से एसी थ्री कोच में आग तेजी से फैली थी।

रेलवे संरक्षा आयुक्त की सिफारिश पर थर्ड एसी कोच से पर्दे हटाने का फैसला 2014 में लिया गया था। लेकिन कोचों की खिड़कियों के पर्दे बरकरार रखे थे। अब सेकेंड एसी कोच से पर्दे हटाने की सिफारिश मैकेनिकल विभाग कर रहा है।

सूत्रों के अनुसार सेकेंड एसी कोच में यात्रियों की सुविधा के लिए पर्दे लगते हैं। इस क्लास का किराया काफी अधिक है। रेलवे अपने विशिष्ट यात्रियों को एकांत उपलब्ध कराने के लिए 2009 में थर्ड एसी में भी पर्दे लगा दिए गए थे।

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मैकेनिकल विग ने सुरक्षा के साथ पर्दों की धुलाई का जिक्र करते सेकेंड एसी से इन्हें हटाने की बात कही है। पर्दे महीने में एक बार धुलाई के लिए जाते हैं। यात्री इनका इस्तेमाल अटैची, बैग, हाथ पोछने के लिए अधिक करते हैं जिस कारण जल्द गंदे हो जाते हैं। रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि पर्दे हटाने की बात चल रही है। मैकेनिकल विभाग का यह प्रस्ताव है। कामर्शियल विभाग की राय ली जाएगी, लेकिन अंतिम फैसला यात्रियों की राय के बाद ही होगा।

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