सीरिया में किए गए तुर्की के हमले के बाद, 60 हजार से ज्यादा लोग हुए बेघर

पूर्वोत्तर सीरिया में किए गए तुर्की के हमले के बाद एक दिन में ही करीब 60 हजार से अधिक लोगों को घर-बार छोड़कर विस्थापित होना पड़ा है। जान-माल की हिफाजत के लिए अधिकतर लोग पूर्वी हसाकेह शहर की ओर बढ़ रहे हैं। यह जानकारी युद्ध की निगरानी कर रहे संगठन ब्रिटेन के सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने गुरुवार को दी। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने दावा किया कि सीरिया में एक दिन पहले अंकारा द्वारा की गई कार्रवाई में 109 आतंकवादी मारे गए। हालांकि, स्थानीय रिपोर्ट में भी इतनी बड़ी संख्या में मौतों की सूचना नहीं आई है।

सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के प्रमुख रामी अब्देल रहमान ने कहा कि सबसे अधिक विस्थापन सीमावर्ती रास-अल अयिन, ताल अब्याद और देरबशिया से हुआ है। अंतरराष्ट्रीय चेतावनी के बावजूद तुर्की समर्थित सीरियाई विद्रोहियों की मदद से तुर्की ने बुधवार को कुर्दिश नियंत्रित वाले पूर्वोत्तर सीरिया में बुधवार को आक्रामक सैन्य कार्रवाई की। शुरुआत में हवाई हमले और गोलाबारी के बाद तुर्की की सेना ने इलाके के अहम सीमावर्ती इलाकों में हमला किया।

आतंकियों ने सऊदी के जेद्दा बंदरगाह के पास उड़ाया ईरानी तेल टैंकर

अंकारा सीरियाई सीमा के 30 किलोमीटर अंदर एक बफर क्षेत्र बनाना चाहता है, ताकि साल 2011 में सीरिया में शुरू गृहयुद्ध के बाद उसकी सीमा में आए 36 लाख शरणार्थियों को वापस सीरिया में भेजा जा सके। एर्दोगन ने सत्तारूढ़ पार्टी के पदाधिकारियों से गुरुवार को कहा कि तुर्की, सीरिया सीमा से लगते इलाके को आतंकी राज्य बनने से रोकना चाहता है। मानवाधिकार संगठन ने चेतावनी दी है कि तुर्की की हालिया कार्रवाई बीते आठ साल के खौफनाक संघर्ष में ताजी है। इसकी वजह से आम नागरिकों को खरतरनाक नतीजों का समाना करना पड़ सकता है।

एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि तुर्की-सीरियाई सीमा के पांच किलोमीटर के दायरे में करीब 4.5 लाख लोग रहते हैं। दोनों तरफ से होने वाली कार्रवाई में उनकी जिंदगी को खतरा है, लिहाजा जरूरत से ज्यादा बल प्रयोग करने से बचना चाहिए और आम लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए।

Back to top button