सावन: इस उपाय से हमेशा के लिए बदल सकती है आपकी ज़िन्दगी
सर्वशक्तिमान परम पिता परमात्मा एक है परंतु उसके रुप अनेक हैं। भगवान शिव की शक्ति अपरंपार है। वह सदा ही कल्याण करते हैं। वह विभिन्न रूपों में संसार का संचालन करते हैं। सच्चिदानंद शिव एक हैं, वे गुणातीत और गुणमय हैं। एक ओर जहां ब्रह्म रूप में वह सृष्टि की उत्पत्ति करते हैं, वहीं विष्णु रुप में सृष्टि का पालन करते हैं तथा शिव रुप में सृष्टि का संहार भी करते हैं। भक्तजन अपनी किसी भी मनोकामना की पूर्ति के लिए भगवान शिव की उपासना करते हैं तथा शिवलिंग का पूजन करते हैं।
शिवलिंग भगवान शिव का ही रुद्र रुप है, जिसका विभिन्न वस्तुओं से अभिषेक किया जाता है। शास्त्रानुसार रुद्राभिषेक करने से प्रभु बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं तथा अपने भक्त की सभी मनोकामनाएं भी सहज ही पूरी कर देते हैं। ज्योतिष शास्त्रानुसार जन्मकुण्डली में किसी जातक के किसी ग्रह की महादशा तथा अन्तरदशा का सदा ही महत्व रहता है क्योंकि इनके अनिष्टकारक योग होने पर भगवान शिव की उपासना तथा रुद्राभिषेक करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। भगवान शंकर को अभिषेक अति प्रिय है अत: अभिषेकात्मक अनुष्ठान सदाशिव की अराधना एवं स्तुति में विशेष प्रशस्त माना जाता है। सावन के महीने में अनेक वस्तुओं से रुद्राभिषेक करने का विशेष महत्व है।
शास्त्रों में संक्रान्ति की अत्यधिक महिमा है क्योंकि इस दिन से ही देसी महीना शुरु होता है। हालांकि बहुत से लोग एकादशी से एकादशी, पूर्णिमा से पूर्णिमा तथा संक्रान्ति से संक्रान्ति तक पूरा महीना व्रत आदि शुभ कार्य करने शुरु कर देते हैं परंतु श्रावण मास की सक्रांति 16 जुलाई को शुरु हो चुकी है तथा उसी दिन से श्रावण मास पर किए जाने वाले धार्मिक कार्यों को करने का संकल्प करके जहां भक्तजन अपना कर्म शुरु कर चुके हैं परंतु जिन्होंने किसी कारण वश अभी तक रुद्राभिषेक नहीं किया है वह पूर्णिमा से पूर्णिमा तक सावन मास की शुरुआत कर सकते हैं। इस बार गुरु पूर्णिमा यानि आषाढी पूर्णिमा 27 जुलाई को है तथा भक्त जन सच्ची भावना से इस दिन से रुद्राभिषेक शुरु करके अपने जीवन में सभी प्रकार की खुशियां प्राप्त कर सकते हैं। यह भी संभव न हो तो केवल त्रयोदशी, मासिक शिवरात्रि और सोमवार के दिन भी रुद्राभिषेक किया जा सकता है।