

377 गवाहों के बयान दर्ज
मुजफ्फरनगर में दंगों की जांच रिपोर्ट जस्टिस विष्णु सहाय ने बुधवार को राज्यपाल राम नाईक को सौंपी। जांच रिपोर्ट को फिलहाल गोपनीय रखा गया है। जांच रिपोर्ट को 6 चैप्टर में बांटा गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस सहाय ने आम लोगों और राजनीतिक पार्टियों के 377 गवाहों का बयान दर्ज किया। 100 सरकारी अधिकारियों का भी बयान दर्ज किया गया है।तत्कालीन डीजीपी देवराज नागर, मेरठ के आईजी, डीआईजी, जिला मजिस्ट्रेट के अलावा पांच 5 दंगा पीड़ित जिलों के एसपी से भी पूछताछ की थी।
सीएम को भेजा जाएगा रिपोर्ट
गर्वनर राम नाईक ने कहा, ‘आगे की कार्रवाई के लिए कमिशन की रिपोर्ट को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भेजा जाएगा। कमीशन ने जांच रिपोर्ट की पहली कॉपी सौंपी है। इसे राज्य सरकार के पास जरूरी कार्रवाई के लिए जल्द ही भेज दिया जाएगा।’
क्यों भड़का था दंगा?
मुज़फ्फरनगर में 27 अगस्त 2013 को कवाल गांव में लड़की से छेड़खानी को लेकर हुए संघर्ष में दो ममेरे और फुफेरे भाइयों सचिन और गौरव सहित कुल तीन लोगों की हत्या के बाद पूरा मुजफ्फरनगर हिंसा की आग में जल उठा था। 7 और 8 सितंबर को नंगला मंदौड़ में हुई पंचायत से वापस लौट रहे लोगों पर हुए हमले के बाद हिंसा ने दंगे का रूप ले लिया था, जिसमें थाना फुगाना सर्वाधिक दंगे से प्रभावित हुआ था। दंगे के दौरान लोगों पर हत्याओं और आगजनी के सैकड़ों मामले दर्ज हुए थे। 60 से भी ज्यादा लोग मारे गए थे और लगभग 50,000 लोग बेघर हो गए थे।
September 24, 2015
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