सफल विवाह के लिए लड़के-लड़की के कितने गुण मिलना जरूरी है ? जानिए

माता-पिता द्वारा तय किए गए विवाह में दो अंजान व्यक्ति शादी के बाद खुद को जीवनसाथी के अनुरूप ढालने की कोशिश में लग जाते हैं मगर क्या किसी इंसान की प्रकृति बदली जा सकता है और अगर उसे बदला गया, तो वह नेचुरल न रहकर आर्टिफिशियल हो जाएगा। अक्सर जोड़े की शिकायत होती है कि हमारी आदतें नहीं मिलती। कुंडलियां मिलने के बाद भी यही होता है। वैदिक तरीके से कुंडली मिलान जन्म नक्षत्र के आधार पर किया जाता है। इस विधि में वर व वधु के जन्म नक्षत्र की एक सारणी से मिलान करके परिणाम निकाला जाता है। इस गुण मिलान में 36 में से 36 या 32 और 30 गुण मिलने वालों में भी तलाक की नौबत आ जाती है और कई बार 18 से कम गुण मिलने के बाद भी पति-पत्नी सुखी शादीशुदा जीवन बिताते हैं।सफल विवाह के लिए लड़के-लड़की के कितने गुण मिलना जरूरी है ? जानिए

बहुत सारे पंडितो का मानना है की श्रीराम और सीता के 36 में से 36 गुण मिले थे। आज भी जिस लड़के और लड़की के पूरे 36 गुण मिल जाते हैं, उसे तो पंडित की तरफ से भगवान द्वारा बनाई गई श्रेष्ठ जोड़ी का खिताब मिल जाता है जैसे सीता-राम की जोड़ी। क्या श्रीराम व देवी सीता का शादीशुदा जीवन कभी ठीक रह पाया था? पंडित द्वारा 36 के 36 गुण मिलने पर राम-सीता जैसी जोड़ी कुछ ही समय बाद कोर्ट-कचहरी के चक्कर काट रही होती है। मगर क्या सचमुच कुंडली में मिलने वाले 36 गुण इस बात की पुष्टि करते हैं कि अमुक जोड़ी की आपस में बनेगी या नहीं।

विवाह से पहले ही देवी सीता ने श्रीराम को पति रूप में स्वीकार कर लिया था। दोनों पहली बार राजा जनक की पुष्पवाटिका में मिले थे। वहां देवी सीता विवाह से पहले गौरी पूजन कर उनसे सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करने आई थी और प्रभु राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ पुष्प तोड़ने आए थे। प्रथम भेंट में ही दोनों एक दूसरे को पसंद कर चुके थे।

श्रीरामायण के इस दोहे अनुसार- मनु जाहि राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरो। करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो। एही भांति गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषीं अली। तुलसी भावानिः पूजी पुनि-पुनि मुदित मन मंदिर चली।

श्रीराम जी को देखने के बाद देवी सीता माता गौरी का पूजन करते वक्त मन ही मन उनसे विनती करती हैं क‌ि पत‌ि रुप में उन्हें श्रीराम प्राप्त हों। माता गौरी उन्हें आशीष देती हैं क‌ि उन्हें पति रूप में श्रीराम ही प्राप्त होंगे। धनुष भंग करके श्रीसीताराम विवाह बंधन में बंध गए।

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