सतर्क हो जाएं, कहीं आपके डिप्रेशन की वजह आपके स्मार्टफोन की लत तो नहीं

आप हमेशा स्मार्टफोन से चिपके रहते हैं, तो हो सकता है कि आप डिप्रेशन में हों। हाल ही में आया एक शोध तो कुछ ऐसा ही कहता है। स्मार्टफोन हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। लेकिन इससे ज्यादा नजदीकी अच्छी नहीं। अगर आप हमेशा स्मार्टफोन से चिपके रहते हैं, तो यह मत समझिए कि यह सामान्य है। यह संकेत है कि आप डिप्रेशन का शिकार हैं।सतर्क हो जाएं, कहीं आपके डिप्रेशन की वजह आपके स्मार्टफोन की लत तो नहीं

अक्सर देखा गया है कि जो लोग अकेले होते हैं या फिर भावानात्मक रूप से कमजोर होते हैं, उनमें चिंता और तनाव का स्तर सामान्य लोगों के मुकाबले कई गुना अधिक होता है। व्यक्ति अगर डिप्रेशन में होता है, तो सिगरेट, शराब या अन्य नशीले पदार्थों के सेवन की लत लग जाती है।

कुछ समय तक तो नशीले पदार्थ सुकून देते हैं, लेकिन बाद में यह गंभीर बीमार बनाते हैं। ऐसा नहीं कि डिप्रेशन होने पर केवल नशीले पदार्थों के सेवन की ही लत लगती है। डिप्रेशन होने पर स्मार्टफोन की लत भी लग सकती है।

हाल ही में एक शोध में सामने आया है कि ऐसे लोग जो चिंता और डिप्रेशन से पीड़ित होते हैं, उन्हें स्मार्टफोन की लत लगने की आशंका ज्यादा होती है। शोध में पाया गया है कि भावनात्मक रूप से कम स्थिर होना, स्मार्टफोन व्यवहार से जुड़ा हुआ है। रिसर्च में पाया गया कि ऐसे लोग जो अपने मानसिक स्वास्थ्य से संघर्ष करते हैं, उनमें स्मार्टफोन के इस्तेमाल की संभावना ज्यादा होती है। ये लोग अपने फोन का इस्तेमाल मेडिकल थेरेपी के रूप में करते हैं।

शोध को लेकर ब्रिटेन के डर्बी विश्वविद्यालय के मनोविज्ञानी डॉ. जहीर हुसैन का कहना है कि शोध में स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर विभिन्न प्रकार के मनोवैज्ञानिक कारकों के परस्पर प्रभाव को उजागर किया गया है। इस रिसर्च में ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी ऑफ एडीलेड की शोधकर्ता ने जूली मॉर्गन ने पहले से की गई रिसर्च के नतीजों की समीक्षा की। उनका कहना है कि उदासी, चिंता तनाव होने पर हम स्मार्टफोन के नजदीक आ जाते हैं और उसके लगातार इस्तेमाल से हमें सुकून मिलता है।

बीमारियों का खतरा डिप्रेशन में स्मार्टफोन से ज्यादा नजदीकी होने पर नींद न आने की समस्या हो सकती है। स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने से दिल से जुड़ी बीमारियां होने का डर भी रहता है। मोबाइल से निकलने वाली रोशनी, आंखों की रोशनी पर भी बुरा असर डालती है। बिना पलक झपकाएं देर तक मोबाइल देखते रहने से आंखें शुष्क हो जाती हैं। जिससे जलन पैदा होना, धुंधला दिखाई देना आदि दिक्कतें आने लगती हैं। स्मार्टफोन की लत से गर्दन में दर्द, रीढ़ की हड्डी में परेशानी, सिरदर्द आदि समस्या हो सकती हैं। भूख में कमी, बेचैनी भी स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल से ही होता है।

डॉक्टर कहते हैं
डिप्रेशन में स्मार्टफोन की लत लग सकती है। इसे बिहेवियर एडिक्शन में ही गिना जाता है। जब इंसान तनाव में होता है, तो मोबाइल फोन पर चैटिंग करने, वीडियो देखने या गेम खेलने से उसे खुशी मिलती है, जो उसे स्मार्टफोन के और नजदीक लाती है। फोन के इस्तेमाल से डिप्रेशन का शिकार व्यक्ति बेहतर महसूस करता है। स्मार्टफोन की लत अगर बढ़ रही है, तो मनोचिकित्सक से परामर्श लें।

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