लोकसभा चुनाव 2019 में बड़ी राजनीतिक भूमिका में होगा VHP, निसंदेह मुद्दा हो सकता है ये

संघ ने विश्व हिंदू परिषद (VHP) का चेहरा ही नहीं बदला है बल्कि रणनीति भी बदल दी है विश्व हिंदू परिषद के अंतरर्राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर वीएस कोकजे और कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर आलोक कुमार की ताजपोशी बता रही है कि संघ का यह अनुषांगिक संगठन अब 2019 के चुनाव में एक बड़ी राजनीतिक भूमिका में होगा. निसंदेह मुद्दा होगा अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण.लोकसभा चुनाव 2019 में बड़ी राजनीतिक भूमिका में होगा VHP, निसंदेह मुद्दा हो सकता है ये

विहिप का साफ्ट चेहरा

वरिष्ठ सूत्र बताते हैं कि कोकजे और आलोक कुमार जैसे सॉफ्ट हिंदूत्व वादी चेहरे को शीर्ष नेतृत्व सौंप कर संघ ने VHP का सिर्फ चेहरा ही नहीं बदला है बल्कि एक तरह से पूरी रणनीति भी बदलने के संकेत दे दिए हैं. अब VHP अतिवादी हिंदू रक्षकों के भीड़ की नुमाइंदगी करने वाला सिर्फ एक दल नहीं बल्कि वैचारिक आंदोलन की अगुवाई करने वाला संगठन दिखाई देगा.

पिछले दो दशकों से डा. तोगडिया और अशोक सिंघल की उग्रवादी चेहरे और शैली की पहचान बना VHP अब सौम्य और संतुलित चेहरे में तब्दील होगा. कोकजे संभवत: ऐसे नेता होंगे जो न तो माथे पर लाल टीका लगाते हैं और न ही विहिप के पारंपरिक धोती की लिबास में दिखाई देते हैं.

पटकथा एक साल पहले लिख दी थी

सूत्रों का कहना है कि यह बदलाव एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है. जिसकी पटकथा एक साल पहले ही लिख दी गई थी. संघ और मोदी सरकार 2019 के पहले कानूनी दांवपेंच में फंसे अयोध्या राम मंदिर मुद्दे को सुलझाना चाहती है. जिसका मोटा रोडमेप तैयार कर लिया गया है. कानून के दायरे में और दूसरा सामंजस्य के आधार पर .

VHP  वैचारिक लड़ाई लडेगा

अब मामला सड़क की लड़ाई से कहीं ज्यादा वैचारिक और कानूनी लड़ाई पर आकर टिक गया है. अब VHP को उन्मादी कार्यकर्ताओं की भीड़ की नहीं बल्की विचारशील नेतृत्व की जरूरत है. सरकार में रहते हुए अयोध्या का हल निकालना है.

भगैया और जोशी के साथ कई बैठके

बताया जाता है कि इस रणनीति के तहत ही संघ के सहसरकार्यवाह वी भगैया एवं सरकार्यवाह भैयाजी जोशी की इंदौर एवं नागपुर में कोकजे के साथ कई बार बैठकें हो चुकी हैं. VHP के दिसंबर 2017 की भुवनेश्वर बैठक में उनके नाम का प्रस्ताव इसी रणनीति के तहत किया गया था लेकिन डा. प्रवीण तोगडिया की नाराजगी के कारण यह ताजपोशी तब टल गई. तोगड़िया दो बार के अध्यक्ष राघव रेड्‌डी के समर्थन में थे. इस कारण बैठक में यह चुनवा तब स्थगित किया गया.

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चुनाव टालने के भरसक प्रयास

VHP के 52 साल के इतिहास में कभी चुनाव नहीं हुआ , इसलिए इन हालातों को टालने के लिए भरसक प्रयास भी हुए लेकिन बात नहीं बनीं. संघ के स्वयंसेवक एवं हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे कोकजे एवं दिल्ली के संघचालक रह चुके कानून के जानकार आलोक कुमार को फिर दायित्व दिया गया कि वे अपनी बात VHP के सभी प्रतिनिधियों और सह संगठनों तक पहुंचाएं. 192 सदस्यों वाली VHP में बजरंग दल समेत कई मठ मंदिर ट्रस्ट सहभागी हैं.

अधिनायकवाद हावी

संघ के एक वरिष्ठ प्रचारक एवं VHP प्रतिनिधि मंडल के सदस्य कहते हैं कि डा. तोगडिया के नेतृत्व में VHP एक अधिनायकवाद के तौर पर हावी हो गया था. गोरक्षा वाले मामले जिस तरह उन्होंने सरकार की आलोचना करते हुए प्रधानमंत्री पर तंज करते हुए ट्वीट किया था – कसाइयों को क्लीन चिट और गोरक्षकों का दमन. डा.तोगडिया की एक किताब अयोध्या मामले में सरकार और संघ की किरकिरी कर रही थी. वहीं लगातार आ रहे उनके बयान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे.

संघ की कमान से भी बाहर

ऐसा दिखाई दे रहा था कि तोगड़िया संघ, सरकार, VHP सबसे ऊपर हो गए हैं. राम मंदिर की मध्यस्थता को लेकर श्री श्री रविशंकर दिखाई देने लगे. VHP संघ की कमान से बाहर होता दिखाई दिया. इस सबका एक ही रास्ता बचा था डा. तोगडिया को बाहर का रास्ता दिखाना.

समरसता मंदिर निर्माण एक मात्र लक्ष्य

हालांकि VHP के प्रांत अध्यक्ष प्रकाश लोंढे इस बात से इत्तफाक नहीं रखते. वे खुलकर कहते हैं कि जो कुछ भी मीडिया में प्रचारित है ऐसा कुछ भी नहीं है. वहां ऐसा कोई चुनावी कड़वाहट वाला वातावरण ही नहीं था. हम सबको साथ लेकर चलेंगे. समरसता और मंदिर निर्माण हमारा एकमात्र लक्ष्य है.

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