राज्‍य में सीबीआइ की जांच पर रोक का कोई इरादा नहीं: पंजाब सरकार

पंजाब सरकार और मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि राज्‍य में सीबीअाइ को जांच से रोकने जैसा कोई विचार नहीं है। मुख्‍यमंत्री कार्यालय का कहना है कि आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल की सीबीआइ को राज्य में किसी भी तरह की जांच से रोकने जैसे कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। इस संंबंध में की जा रही चर्चाएं बेबुनियाद हैं।

बता दें कि आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल ने अपने यहां सीबीअाइ के जांच करने पर राेक लगा दी है। इन दोनों राज्यों में जांच करने के लिए सीबीआइ को पहले यहां की सरकारों से अनुमति लेनी होगी। इसके बाद पंजाब सरकार द्वारा भी ऐसा की कदम उठाने की चर्चाएं जोर-शाेर से चलने लगीं। बताया गया कि पंजाब सरकार भी राज्‍य में सीबीआइ के सीधे जांच करने पर रोक लगाने की तैयारी में है।

चर्चाएं गर्म होने पर शनिवार को पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की ओर से सफाई दी गई। मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने पूरे मामले पर सरकार और कांग्रेस का पक्ष रखा। ठुकराल ने कहा कि पंजाब में सीबीआइ को सामान्‍य जांच से राेकने का कोई विचार नहीं है। इस बारे में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्‍व द्वारा सभी कांग्रेस शासित राज्‍यों के बारे में निर्णय किया जाएगा। इसके अनुरूप ही पंजाब में भी कदम उठाया जाएगा।

आंध्र प्रदेश ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना कानून (डीएसपीई एक्ट) के तहत सीबीआइ को राज्य के भीतर जांच के लिए दी गई शक्ति को समाप्त कर दिया है। 8 नवंबर को इस सिलसिले में अधिसूचना जारी की गई थी। ध्यान देने की बात है कि इसने तीन महीने पहले ही सीबीआइ अधिकारियों को राज्य में जांच की सामान्य अनुमति होने की अधिसूचना जारी की थी।

आंध्र की राह पर चलते हुए पश्चिम बंगाल ने भी सीबीआइ को राज्य के भीतर जांच के लिए दी गई सहमति वापस ले ली। पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि उनकी सरकार की अनुमति के बिना सीबीआइ राज्‍य में किसी भी मामले की जांच नहीं कर सकेगी। उनके निर्देश पर राज्य सरकार की ओर से इस बाबत शुक्रवार देर शाम आनन-फानन में अधिसूचना भी जारी कर दी गई थी।

अधिसूचना के पीछे चंद्रबाबू का व्यक्तिगत डर तो नहीं

दूसरी ओर, आंध्र सरकार द्वारा उठाए गए कदम के पीछे चंद्रबाबू नायडू के व्यक्तिगत डर को अहम माना जा रहा है। दरअसल, सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा को दो करोड़ और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को दो करोड़ 95 लाख रुपये रिश्वत देने का दावा करने वाला सतीश बाबू सना हैदराबाद का रहने वाला है। उसे चंद्रबाबू नायडू का करीबी माना जाता है। चर्चा यहां तक है कि चंद्रबाबू के साथ उसके लेन-देन के पुख्ता दस्तावेज मौजूद हैं। सना ने सीबीआइ के सामने स्वीकार किया

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