यूपी: चुनाव प्रचार में क्यों नहीं टिक पा रहा कोई, बीजेपी के आगे ?

नई दिल्ली। यूपी की सत्ता हासिल करने के लिए सबसे ज्यादा बेताब भारतीय जनता पार्टी ही नजर आ रही है। देश में नोटबंदी करने वाली यह पार्टी अभी से पानी की तरह पैसा बहा रही है, जबकि चुनाव अभी घोषित नहीं हुए हैं। चाहे परिवर्तन यात्रा का रथ बनवाने का मामला हो, वीडियो वैन और बाइक रैलियों की मामला हो। बसपा, सपा और कांग्रेस भाजपा के प्रचार तंत्र के सामने कहीं नहीं टिक रहे। अभी तक सबसे ज्यादा रैलियां भी भाजपा ने ही की हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक भाजपा यूपी में करो या मरो की तर्ज पर काम कर रही है। वरना 2019 के लिए डगर काफी कठिन हो जाएगी।
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भाजपा ने सबसे पहले प्रदेश के चार स्थानों से चार परिवर्तन रथ लोगों के बीच रवाना किए। फिर हर विधानसभा में वीडियो वैन भेजी गई और उसके बाद अब हर क्षेत्र के लिए चार-चार बाइकें भेजी जा रही हैं। पार्टी ने अपने सबसे बड़े नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गाजीपुर, आगरा, कुशीनगर, मुरादाबाद और बहराइच में रैलियां करवा दी हैं। राजनाथ सिंह, केशव प्रसाद मौर्य, कलराज मिश्र, उमा भारती आदि लगातार यूपी में कैंप कर रहे हैं।
इसके अलावा परिवर्तन यात्रा, पिछड़ा वर्ग सम्मेलन, युवा सम्मेलन और महिला सम्मेलनों से लोगों को जोड़ने की कोशिश जारी है। महिला विंग की कमान स्वाती सिंह संभाल रही हैं जो मायावती-दयाशंकर प्रकरण से उभरीं हैं। पार्टी की कोशिश की है लगभग हर जिले में महिला, युवा और पिछड़ा वर्ग सम्मेलन करके ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी बात पहुंचाई जाए। पार्टी ने 1650 बाइकें प्रचार के लिए खरीदी हैं, जिनके माध्यम से करीब 3.5 करोड़ लोगों तक अपना संदेश पहुंचाएगी। हालांकि अभी तक पार्टी ने एक भी टिकट घोषित नहीं किया है।
विपक्षी इन खर्चों पर भले ही सवालिया निशान लगा रहे हों लेकिन भाजपा नेताओं का मानना है कि सपा और बसपा को पिछाड़ने के लिए इसी तरह के आक्रामक प्रचार की जरूरत है। समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह का कहना है कि अखिलेश सरकार अपने काम लेकर जनता के बीच जाएगी। वह काम के भरोसे सत्ता में लौटेगी, प्रचार उनकी जरूरत है, जिन्होंने कोई कोई काम नहीं किया। जबकि बसपा के प्रदेश्ा अध्यक्ष रामअचल राजभर कहते हैं बसपा सर्व समाज में जाकर अपने समय के काम बता रही है। लोग उसी आधार पर वोट करेंगे।
नोटबंदी खराब कर रही है खेल, इसलिए प्रचार पर जोर: विशेषज्ञ
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर अब्दुल रहीम कहते हैं कि नोटबंदी से पहले यूपी में भाजपा की सत्ता आने की पूरी उम्मीद थी लेकिन अब हालात विपरीत हैं। इधर, सपा और कांग्रेस में गठबंधन होने की बात चल रही है। ऐसे में भाजपा चाहे जितना प्रचार कर ले उसे सफलता मिलने की उम्मीद पहले जैसी नहीं है। इसीलिए वह प्रचार में आक्रामक हो रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि यूपी में बात बिगड़ी तो 2019 का खेल खराब हो जाएगा।
प्रचार में भाजपा के मुकाबले बसपा, कांग्रेस, सपा कहां
भाजपा के मुकाबले प्रचार में सिर्फ कांग्रेस ने थोड़ा काम किया है। उसने खाट सभा करने के साथ-साथ किसान यात्रा, राहुल संदेश यात्रा और दलित स्वाभिमान यात्रा निकाली है। समाजवादी पार्टी ने विकास रथ निकाला है। जबकि बसपा अपनी नेता मायावती की रैलियां करवा रही है। पार्टी नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी और सतीश मिश्र भाईचारा बैठकें कर रहे हैं। बसपा ने अब पिछड़ा वर्ग सम्मेलन भी करवाने का फैसला लिया है।