यात्रा पर जाते समय न करें ऐसी 5 गलतियां, हो सकता है अपशगुन
पिकनिक पर जा रहे हों या काम से यात्रा करनी हो। यात्रा का अपना अलग ही आनंद होता है। लेकिन, यात्रा पर जाते हुए हम जाने-अनजाने, ऐसे शब्द बोल देते हैं, जो हमारी यात्रा का मजा किरकिरा कर सकते हैं। यात्रा पर जाते समय कुछ बातें बोलने से बचना चाहिए। ज्योतिष व वास्तुशास्त्र में यात्रा को सफल बनाने के बारे में बहुत सी बातों को बताया गया है। इनको अपनाकर आप अपनी यात्रा को सुखद व मंगलकारी बना सकते हैं।यात्रा पर जाते समय कोई भी नकारात्मक शब्द न बोलें। इससे यात्रा में विघ्न पैदा होता है। जब भी यात्रा पर निकले इष्टदेव को याद करें। गायत्री मंत्र का जाप करें। यात्रा पर जाने से पहले किसी नदी, आग, हवा, देवी-देवता, बड़े बुजुर्ग, माता-पिता या स्त्री का मजाक न उड़ाएं और न ही अपशब्द कहें। ऐसा करने से ईश्वर रुष्ट हो जाते हैं और यात्रा अमंगलकारी या सकंटदायक बन जाती है।
यात्रा पर जाते समय अपना सीधा पैर सबसे पहले घर से बाहर निकालें। यदि किसी काम से यात्रा पर जा रहे हैं, तो किसी गरीब को दान दें। गाय को रोटी या हरा चारा खिलाएं। ऐसा करने से काम भी पूरा होता है और यात्रा भी लाभकारी होती है।
मंगलवार को यदि उत्तर दिशा की यात्रा करनी हो, तो-घर से गुड़ खाकर निकलें। बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा करना जरूरी हो, तो घर से धनिया व तिल खाकर निकलें। गुरुवार को यदि दक्षिण दिशा की यात्रा करने से पूर्व थोड़ा दही खाकर घर से निकलना चाहिए। शुक्रवार के दिन पश्चिम दिशा की यात्रा करना जरूरी हो, तो घर से थोड़ा जौ खाकर निकलें। शनिवार के दिन यदि पूर्व दिशा की यात्रा करना आवश्यक हो, तो अदरक का टुकड़ा या काली उड़द खाकर निकलें। उपरोक्त उपाय करने से दिशा शूल के प्रकोप से बचकर यात्रा को मंगलकारी बनाया जा सकता है।
जरूरी यात्रा पर जा रहे हैं और निकलते ही बिल्ली रास्ता काट जाए, कौआ सिर पर बैठ जाए, सामने किसी का शव पड़ जाए, छींक आ जाए, कोई टोक दे, तो कुछ समय के लिए यात्रा टाल दें। मुंह झूठा करें और तब निकलें। अगर रुकना संभव न हो, तो पानी पीकर आगे बढ़ें। ऐसा करने से प्राकृतिक एवं अप्राकृतिक दुर्घटनाओं से बचाव होता है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, यात्रा पर निकलने से पहले आभूषण से लदी सुहागन स्त्री को देखना, इसके अलावा जल से भरा हुआ घड़ा, बछड़े को दूध पिलाती हुई गाय देखना शुभ संकेत देती है। इससे यात्रा तो आनंदित होती ही है, यह काम पूरे होने का भी शुभ संकेत है। इस पुराण में कहा गया है कि यदि यात्रा पर जाते समय राजहंस, सफेद घोड़ा, हरि कीर्तन, जलती आग, दर्पण, मोर, तोता, शंख आदि दिखे, तो ये शुभ संकेत हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सोमवार और शनिवार के दिन पूर्व दिशा की यात्रा करना शुभ नहीं माना गया है। सोमवार और गुरुवार को आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण) की यात्रा नहीं करनी चाहिए। बुधवार और शनिवार के दिन ईशान कोण (पूर्व-उत्तर) की यात्रा करना निषेध है। रविवार और शुक्रवार को पश्चिम दिशा व नैऋृत्व कोण की यात्रा करने से हानि होती है।
मंगलवार व बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा करने से शारीरिक व मानसिक कष्ट होते है। गुरुवार के दिन दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए, इस दिन यात्रा करने से मृत्यु तुल्य कष्ट मिलता है। रविवार को यदि पश्चिम दिशा की यात्रा करनी हो, तो-घर से दलिया और घी खाकर निकले। सोमवार के दिन पूर्व दिशा की यात्रा करनी पड़े, तो घर से दर्पण देखकर निकलना चाहिए।