मतदाताओं के जोश को देखकर, जान जोखिम में डाल यहां लोकतंत्र की मतदान प्रक्रिया को सफल बनाया

ऊधमपुर-डोडा लोकसभा क्षेत्र के लिए बृहस्पतिवार को मतदान हुआ। सुरक्षाकर्मियों की चौकसी और मतदाताओं के जोश पर बहुत चर्चा हुई पर इसे सफल बनाने में चुनाव ड्यूटी पर लगे हजारों कर्मचारियों के श्रम की पीठ थपथपाना तो दूर किसी ने चर्चा करने की आवश्यकता नहीं समझी।

इन लोकतंत्र प्रहरियों ने कहीं दस से 15 किलोमीटर तक पहाड़ को नापा और कहीं उफान पर आए दरिया को लांघा पर इन तमाम चुनौतियों और थकान को भूलकर न केवल उन्होंने मतदान को सफल बनाया, बल्कि समय पर ईवीएम कंट्रोल रूम में जमा कराई।

ऊधमपुर-डोडा सीट का बड़ा हिस्सा पहाड़ी है। खासकर कठुआ और किश्तवाड़ जिले के कई मतदान केंद्रों पर तो केवल पैदल ही पहुंचा जा सकता था। यहां 18 अप्रैल को मतदान हुआ। लिहाजा पहाड़ क्षेत्र के चुनाव ड्यूटी के कर्मचारियों को 16 अप्रैल को ही साजो-सामान के साथ विदा कर दिया गया था ताकि वे समय पर मतदान केंद्र तक पहुंच सकें। इसी बीच मौसम ने गुगली मारी। दो दिन तक आंधी और तूफान के कारण बचे-खुचे रास्ते भी बंद हो गए। फिसलन के कारण आगे बढऩा नामुमकिन था। बरसाती नाले भी उफान मारने लगे, ऐसे में मतदानकर्मी रास्तों में ही घंटों फंसे रहे।

इन चुनौतियों के बावजूद वह लगातार आगे बढ़ते रहे ताकि समय पर मतदान केंद्र पर पहुंच सकें। किश्तवाड़ का काफी हिस्सा कारगिल और हिमाचल से सटा है और सामान्य दिनों में कोई अधिकारी वहां तक पहुंच नहीं पाता पर मतदान टीम के जज्बे के आगे तमाम चुनौतियां बौनी हो गईं।

अकेले बनी क्षेत्र के करीब एक दर्जन मतदान केंद्र ऐसी लोकेशन पर थे जहां पहुंचने के लिए मतदानकर्मियों और सुरक्षाकर्मियों को 15 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा और वह भी चुनावी सामग्री के साथ।

पूरी रात चले और मतदान से एक घंटा पहले पहुंचे

बिलावर विधानसभा क्षेत्र के बूथ नंबर 148 में तैनात प्रवीण सिंह, कर्ण सिंह और सुरक्षाकर्मियों को खराब मौसम एवं उज्ज दरिया में उफान के कारण घंटों फंसा रहना पड़ा। फिर राह बदलकर पूरी रात चले और 15 किलोमीटर पैदल चलते हुए बृहस्पतिवार सुबह मतदान केंद्र में पहुंचे और मतदान शुरू कराया। हालांकि, सभी को शेड्यूल के मुताबिक मतदान केंद्रों में मतदान के एक दिन पहले पहुंचना था। इसके चलते उस बूथ पर 70 फीसद वोट से अधिक वोट पड़े। एडीसी ने टीम की विशेष तौर पर सराहना की है।

चोटिल हुए पर मतदान समय पर शुरू कराया

बनी के सित्ती में तैनात मतदान अधिकारी शाम लाल शर्मा को 15 किलोमीटर पैदल चल कर मतदान केंद्र तक पहुंचना था। दुर्गम और फिसलन भरे रास्ते पर अधिकारी का पांव फिसल गया। चोट भी आई पर हिम्मत नहीं छोड़ी और मतदान प्रक्रिया समय पर पूरी कराकर लोकतंत्र को मजबूत बनाया। इस केंद्र पर भी 60 फीसद वोट पड़े। बनी से भंडार, कलानू की 15 किलोमीटर दूरी पैदल तय करके मतदान एवं सुरक्षा कर्मियों को वहां पहुंचना पड़ा। इसी तरह बिलावर के बांजल सदरोता में मतदान केंद्रों तक मतदान कर्मियों को 10 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा।

एसडीएम बनी जोगेंद्र सिंह – बनी विधानसभा क्षेत्र में 43 ऐसे मतदान केंद्र थे, जहां पर मतदान एवं सुरक्षा कर्मियों को 2 से 15 किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचना पड़ा। इसके लिए कुछ कर्मियों को दो दिन पहले भी रवाना होना पड़ा हालांकि मौसम भी खराब था। पहाड़ी क्षेत्र होने बावजूद हाथों में चुनाव सामग्री और मशीनें भी थीं। इन कर्मियों को चुनाव प्रक्रिया सफलतापूर्वक संपन्न कराने की बधाई। 

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