भारती एयरटेल ने दूरसंचार विभाग को जमा किए 8,004 करोड़ रुपये, अब इतना देना बाकी…

शनिवार को भारती एयरटेल ने समायोजित सकल आय (एजीआर) बकाए को लेकर दूरसंचार विभाग को 8,004 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। इससे पहले 17 फरवरी को कंपनी ने 10,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। इस तरह कंपनी ने अब तक कुल 18,004 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। ऐसे में अब एयरटेल को 17000 करोड़ रुपये और चुकाने हैं।
हाल ही में रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा था कि निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल के पास पांच अरब डॉलर के सांविधिक बकाए को चुकाने की वित्तीय क्षमता है। इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने इसी महीने दूरसंचार कंपनियों से कहा था कि वे उसके 24 अक्तूबर, 2019 के फैसले का अनुपालन करें। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में दूरसंचार विभाग की समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) की परिभाषा को उचित ठहराया था।
मूडीज ने कहा कि 35,300 करोड़ रुपये के नकद भुगतान से भारती एयरटेल की ऋण की गुणवत्ता पर कोई उल्लेखनीय प्रभाव नहीं पड़ेगा। उसकी मौजूदा रेटिंग में उसकी स्थिति संतोषजनक रहेगी। एयरटेल को पिछले सांविधिक बकाया का पूरा भुगतान 17 मार्च तक करना है। इससे पहले भारती एयरटेल ने एजीआर बकाए में से सरकार को 10,000 करोड़ रुपये जमा किए थे। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि कंपनी की हालिया पूंजी जुटाने की गतिविधियों से उसे एजीआर के भुगतान के लिए अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी।
हाल ही में सरकार ने दूरसंचार कंपनियों से एजीआर के स्वमूल्यांकन संबंधी दस्तावेज मांगे थे। दूरसंचार विभाग के सूत्रों ने बताया कि इन दस्तावेजों के आधार पर कंपनियों पर बकाया समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) की गणना में मदद मिलेगी।

गौरतलब है कि कंपनियों ने सरकार से कहा था कि दूरसंचार विभाग की ओर से तय किए गए एजीआर बकाए और उनके स्वमूल्यांकन के बीच भारी अंतर है। अब सरकार ने इस दावे की पुष्टि के संबंध में सभी तीन दूरसंचार कंपनियों भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज से दस्तावेज जमा करने को कहा है।वोडाफोन आइडिया पर इतना बकाया

वोडाफोन आइडिया की बात करें, तो कंपनी ने एजीआर बकाए को लेकर 20 फरवरी को दूरसंचार विभाग को एक हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया था। इससे पहले 17 फरवरी 2020 को भी कंपनी ने 2,500 करोड़ रुपये जमा किए थे। अब वोडाफोन आइडिया पर 49,538 करोड़ रुपये बकाया है। जबकि पहले यह रकम 53,038 करोड़ रुपये थी।क्या है एजीआर ?

दूरसंचार कंपनियों को एजीआर का तीन फीसदी स्पेक्ट्रम फीस और आठ फीसदी लाइसेंस फीस के तौर पर सरकार को देना होता है। कंपनियां एजीआर की गणना दूरसंचार ट्रिब्यूनल के 2015 के फैसले के आधार पर करती थीं। ट्रिब्यूनल ने उस वक्त कहा था कि किराये, स्थायी संपत्ति की बिक्री से लाभ, डिविडेंड और ब्याज जैसे गैर प्रमुख स्रोतों से हासिल राजस्व को छोड़कर बाकी प्राप्तियां एजीआर में शामिल होंगी। जबकि दूरसंचार विभाग किराये, स्थायी संपत्ति की बिक्री से लाभ और कबाड़ की बिक्री से प्राप्त रकम को भी एजीआर में मानता है। इसी आधार पर वह कंपनियों से बकाया शुल्क की मांग कर रहा है।

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