फैशन की दौड़ में सेहत को न करे नजरअंदाज, वरना आपको हो सकता ये बड़ा नुकसान

खूबसूरत दिखने के लिए खूब सारे पैसे खर्च करती हैं। फैशन की दौड़ में पीछे न रह जाए, इसलिए हर ट्रेंड पर आपकी नजर रहती है। फिर सेहत की खूबसूरती पर ध्यान क्यों नहीं देती हैं आप? भले ही आपने बीस की उम्र में अपनी सेहत की कोई फिक्र नहीं की, लेकिन तीस की उम्र के बाद आपकी यह लापरवाही आपको बीमार भी कर सकती है। स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नीलांचली सिंह कहती हैं कि यही वह उम्र है, जब कामकाज से लेकर घर-परिवार तक नई जिम्मेदारियां उठाने का समय शुरू हो जाता है।फैशन की दौड़ में सेहत को न करे नजरअंदाज, वरना आपको हो सकता ये बड़ा नुकसान

 

ऐसे में महिला और पुरुष दोनों को ही अपनी सेहत के बारे में नए सिरे से सोचने और उसे संवारने की जरूरत होती है। जहां तक बात महिलाओं की है, तो बढ़ती उम्र के साथ उनमें कुछ हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिसकी वजह से कई शारीरिक दिक्कतें भी होती हैं। हालांकि, महिलाएं शरीर में हो रहे बदलाव को गंभीरता से नहीं लेती हैं, जो बाद में किसी गंभीर बीमारी का कारण भी बनता है। इसलिए महिलाओं को अपने शरीर से संबंधित छोटे-बड़े सभी प्रकार के बदलाव को हल्के में न लेते हुए उसके बारे में अपने बड़ों और चिकित्सकों से परामर्श करते रहना चाहिए, ताकि समय रहते उसका सही इलाज मिल सके। 

 

अचानक वजन बढ़ने लगे तो 
राष्ट्रीय महिला स्वास्थ्य संसाधन केंद्र के अनुसार, उम्र के 30वे पड़ाव पर मेटाबॉलिज्म के धीरे गति से काम करने के कारण महिलाओं में वजन बढ़ने लगता है। वजन बढ़ने से शरीर को कई तरह की बीमारियां घेर लेती हैं। जो डायबिटीज, घुटनों का दर्द और कमर दर्द की वजह बन सकती है, इसलिए अपने वजन को बढ़ने न दें। 30 के बाद आपको नियमित रूप से वॉक, जॉगिंग या साइक्लिंग आदि करना चाहिए। इसके अतिरिक्त जंक फूड का उपयोग कम-से-कम करें और ऐसा आहार लें, जो वसा रहित हो। साथ ही फलों और सब्जियों का भी उचित मात्रा में सेवन करना चाहिए।

आहार विशेषज्ञ कविता देवगन कहती हैं कि बढ़ती उम्र के साथ शरीर का मेटाबॉलिज्म स्लो होने लगता है। ऐसे में महिलाओं को पहले के मुकाबले कम कैलोरी की जरूरत होती है, इसलिए अब जो भी खाएं उसकी कैलोरी पर नजर रखें। खाने में ऐसी चीजें शामिल करें, जिनमें आपके लिए जरूरी सारे पोषक तत्व हों, लेकिन फैट बढ़ाने वाली चीजों का सेवन धीरे-धीरे कम करें। 40 वर्ष की आयु में पहुंचते-पहुंचते आपका पाचन तंत्र भी धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है। जिसके चलते मसल मास कम होने लगता है। इस कारण आपके शरीर में फैट बढ़ने लगता है। इसका मतलब यह है कि आपको चालीस के बाद अपनी कैलोरीज को कम करना पड़ेगा।

 
त्वचा पर दाग- धब्बे या मस्सों  का होना 
बढ़ती उम्र का असर चेहरे की खूबसूरती पर भी पड़ता है। चेहरे पर झुर्रियां ही नहीं, बल्कि कुछ तिल और मस्से भी निकल आते हैं। अगर त्वचा पर तिल या मस्से असामान्य तरीके से निकल रहे हों या त्वचा की रंगत में कोई बदलाव दिखे, तो इसे भी कभी हल्के में न लें। त्वचा के ये बदलाव किसी गंभीर बीमारी को जन्म दे सकते हैं।
 
अमेरिकन कैंसर सोसायटी की रिपोर्ट के अनुसार, समुद्र किनारे या स्विमिंग पूल में घंटों समय बिताने वाली 30 की उम्र की महिलाओं में अक्सर मेलेनोमा कैंसर होने की आशंका ज्यादा पाई जाती है। यदि आपके परिवार में कोई मेलेनोमा से ग्रस्ति है, तो खासकर कम उम्र की महिलाओं को इससे अधिक सावधान रहने की जरूरत होती है।

अमेरिकन अकेडमी ऑफ डर्मेटेलॉजी (एएडी) के अनुसार मेलेनोमा की समस्या को नजरअंदाज न करें, क्योंकि यह तेजी से शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकता है, जो काफी घातक सिद्ध होता है। मेलेनोमा रिसर्च फाउंडेशन द्वारा त्वचा के कैंसर के लक्षणों को पहचानने के लिए कुछ संकेत बताए गए हैं, जैसे हाथ और पैरों के नाखूनों के बीच में उभरी काली, भूरी, नीली और हरी रंग की रेखाएं, जिन्हें छूने में दर्द होता हो। तिल के रंग और आकार में जल्दी-जल्दी परिवर्तन हो। एएडी वेबसाइट ने बताया है कि यदि आप अपनी त्वचा पर नए या बदलते तिल, झांइयां, ऐज स्पॉट या पैचेज के निशान उभरते हुए देखें , तो तुरंत किसी बेहतर डर्मेटोलॉजिस्ट से संपर्क करें। 

दरअसल, त्वचा की कोशिकाओं का असामान्य तरीके से बढ़ना स्किन कैंसर कहलाता है, जो अक्सर धूप के संपर्क में रहने वाली त्वचा में ज्यादा होता है। लेकिन स्किन कैंसर कई बार त्वचा के उन हिस्सों में भी हो जाता है, जो सामान्य रूप से धूप के संपर्क में नहीं आते या कम आते हैं। ऐसे में महिला ही नहीं पुरुषों को इस तरह के किसी बदलाव के प्रति सजग रहना चाहिए। 

 
गर्भ धारण करने में समस्या
तीस की उम्र पार करते ही अक्सर महिलाओं में इनफर्टिलिटी की समस्या शुरू हो जाती है। जिसका कारण कम मात्रा में अंडे बनना, गर्भाशय ग्रीवा के द्रव में कमी आना या फिर पुरानी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं। उम्र के साथ शरीर में कुछ हार्मोनल बदलाव भी होते हैं। शरीर में असंतुलित हार्मोन की वजह से भी महिलाओं को  इनफर्टिलिटी की समस्या से गुजरना पड़ता है। इसलिए यदि आपको गर्भधारण में परेशानी हो रही है, तो किसी अच्छे डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

अमेरिकी सोसायटी ऑफ रिप्रोडक्टिव मेडिसिन के मुताबिक, 30 साल की उम्र के बाद हर गुजरते महीने में प्रेग्नेंट होने की संभावना 20 फीसदी कम हो जाती है। भले ही एक महिला कितनी स्वस्थ क्यों न हो? और एक बार जब आप 35 की उम्र तक पहुंच जाती हैं, तो प्रेग्नेंसी में काफी समस्याएं आती हैं, क्योंकि आपका शरीर इस दौरान कई हार्मोनल परिवर्तनों से गुजरता है। 

 
अनियमित पीरियड होना
अक्सर महिलाओं में तनाव या हार्मोनल बदलाव की वजह से अनियमित और असामान्य रूप में पीरियड होने लगते हैं। जो इस उम्र की आम समस्या है। जैसे ही वो 40 की उम्र में पहुंचती है, तो प्री-मेनोपॉज के कुछ लक्षण भी दिखने लगते हैं। इस वजह से भी उनका पीरियड अनियमित हो जाता है।  लेकिन जब यही समस्या 30 की उम्र में हो, तो इस समस्या को हल्के में न लें। एक अध्यययन के मुताबिक, 35 साल की उम्र के बाद अनियमित रूप से रक्तस्राव पॉलीप्स, ट्यूमर या कैंसर जैसी गंभीर समस्याओं का कारण भी हो सकती है, इसलिए इस समस्या को छुपाए नहीं, बल्कि डॉक्टर को दिखाएं।
 
बालों का झड़ना 
बालों का झड़ना भी इस उम्र की आम समस्या है। तनाव या प्रसव की वजह से यह समस्या हो सकती है, लेकिन कई बार शरीर में पोषक तत्वों की कमी की वजह से भी बाल झड़ते हैं।  हेवी ब्लीडिंग की वजह से महिलाओं में आयरन की कमी हो जाती है। शरीर में पोषक तत्वों की कमी से भी बाल खराब होते हैं, इसलिए महिलाओं को रोजाना 18 मिलीग्राम आयरन किसी-न-किसी रूप में लेना चाहिए। इसके अलावा विटामिन डी की कमी भी इसका मुख्य कारण है। विटामिन डी की कमी होने पर मधुमेह, हृदय रोग, मल्टीपल स्केलेरोसिस, ब्रेस्ट, कोलोरेक्टल कैंसर होने की संभावना होती है। एक अध्ययन के अनुसार, 50% से अधिक महिलाएं विटामिन डी की समस्या से जूझ रही हैं। 

उम्र बढ़ने के साथ शरीर में और भी कई बदलाव होते हैं, जिनमें से कुछ तो सामान्य हैं। लेकिन शरीर में हो रहे असामान्य बदलाव को हल्के में न लें। इसके लिए जरूरी है समय-समय पर डॉक्टरी जांच, ताकि समय रहते आपको सही इलाज मिल सके। 

 
 
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