अंबाला । अंबाला के साहा, महाराष्ट्र के लातूर व कर्नाटक के ट्रांसपोर्टरों को 1.24 करोड़ का चूना लगा चुके अंतरराज्यीय अन्ना गैंग के सदस्य नरेंद्र कुमार उर्फ नीरू ने बताया कि उसने छह साल आइसीआइसीआइ बैंक में रिकवरी का काम किया और प्रापर्टी कारोबार में भी हाथ आजमाए। मगर सफलता नहीं मिलने और रातों-रात पैसा कमाने की चाहत में उसने मूलरूप से गुजरात व वर्तमान में अजमेर निवासी गैंग सरगना अन्ना उर्फ प्रवेश भाटिया का हाथ थाम लिया। प्रलोभन में फंसकर उसने अन्ना का हाथ थाम लिया। पुलिस ने उसे गत मंगलवार को पर्वतसर से गिरफ्तार किया गया था।
उल्लेखनीय है कि 7 अक्टूबर 2017 को साहा थाने में दर्ज मुकदमों में पुलिस 1 दिसंबर को लांगरी धूम बहादुर, 4 दिसंबर को चालक सुशील कुमार और 14 मार्च को त्रिलोक टांक के पिता मोतीलाल को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। चोरी का माल खरीदने वालों की भी पहचान व गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।
पुलिस पूछताछ में नीरू ने बताया कि गिरोह की योजनानुसार वह छावनी के कुलदीप नगर में किरायेदार जय कुमार बनकर रहा। साहा में मां भगवती ट्रांसपोर्टर के संचालक अमरजीत सिंह को विश्वास में लेकर लंडा स्थित इमामी और डाबर गोदामों से माल लोड कराकर हड़प लिया। नरेंद्र की निशानदेही पर साहा की आर्थिक अपराध शाखा ने अन्ना और त्रिलोकचंद की धरपकड़ के लिए अजमेर में डेरा डाल रखा है।
नरेंद्र के अनुसार वर्ष 2007 से 10 तक वह नागौर के आइसीआइसीआइ बैंक की लोन रिकवरी टीम में रहा। उसके बाद छह साल प्रापर्टी कारोबार में हाथ आजमाए। मगर उसका जल्द अमीर बनने का सपना पूरा नहीं हो सका। अन्ना ने उसे अपने साथ काम का ऑफर देते हुए कहा कि कुछ ही दिनों में वह उसे लखपति बना देगा। कई राज्यों में ठगियां करने के बावजूद वह कभी पकड़ा नहीं गया।
अंबाला लंडा की ठगियों में उसे 10 लाख का प्रलोभन दिया था, लेकिन केवल सात लाख थमाए। इन पैसों से उसने घरेलू सामान खरीदने के अलावा मौज-मस्ती की। इसके बाद उसने अन्ना संग काम करने को मना कर दिया था, लेकिन मोतीलाल की गिरफ्तारी के बाद उसे अहसास हो गया था कि वह लंबे समय तक कानून से भाग नहीं पाएगा।
एएसआइ रमेश कुमार व हेडकांस्टेबल जय कुमार के अनुसार अन्ना व त्रिलोक टांक की गिरफ्तारी के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। अब तक की जांच में सामने आया है कि लंडा की वारदातों के वक्त अन्ना व त्रिलोक वाहनों के साथ-साथ जयपुर तक गए।