देश-विदेश में प्रख्यात कथावाचक राजेश्वरानंद उर्फ राजेश रामायणी का हृदयगति रुकने से निधन हो गया। वे रायपुर छत्तीसगढ़ में राम कथा प्रवचन करने गए थे। खबर फैलते ही रामायणी के गांव से लेकर पूरे जालौन जनपद में शोक की लहर दौड़ गई। जिले के सांसद, विधायक और अधिकारी एवं सभी दलों के जिलाध्यक्ष उनके घर पहुंचने लगे है। रामायणी अपनी संगीतमयी रामकथा के लिए विदेशों में भी जाने जाते थे।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी रामायणी और उनकी राम कथा से काफी प्रभावित थे। परिवार के करीबियों के मुताबिक रामायणी का अंतिम संस्कार शुक्रवार को उनके पैतृक गांव में ही किया जाएगा। एट न्याय पंचायत के पचोखरा निवासी राजेश रामायणी का जन्म 22 सितंबर 1955 में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा 1967 में गांव के ही नेहरू जूनियर हाईस्कूल में हुई। पढ़ाई के दौरान भी वे कक्षा में अपनी मधुर आवाज में चौपाइयां सुनाया करते थे। जिससे गांव के लोग व शिक्षक आश्चर्यचकित रहते थे।
रामायण में रुचि रखने के कारण स्नातक की शिक्षा ग्रहण करने के बाद अपने गुरु स्वामी अविनाशी राम के साथ जाकर उनकी कथा में सहयोग करने लगे। युवावस्था में उनके मुख से रामकथा सुनकर लोग स्वयं को काफी आनंदित महसूस करते थे। कई बड़े व्यवसाई घरानों ने इन्हें अपना गुरु माना। जिसके बाद इनकी रामकथा देश से लेकर विदेश तक पहुंचने लगी।
रामायणी के निमंत्रण पर ही भजन गायक विनोद अग्रवाल और अनूप जलोटा ने भी उनके गांव में भजन संध्या प्रस्तुत की है। रामकथा मर्मज्ञ मुरारी बापू भी रामायणी के मुख से निकलने वाली रामकथा को काफी पसंद करते थे। परिवार के करीबियों की मानें तो बापू तो उन्हें अपना छोटा भाई मानते थे। निधन की खबर पर बापू ने भी उनके गांव पत्र भेजकर शोक जताया। माना जाता है कि जब वे कथा सुनाने के लिए मंच पर आसीन होते थे तो हनुमान जी की ऐसी कृपा बरसती थी कि उनके मुख से निकलने वाली रामकथा भक्तों को आनंदित कर देती थी।
उनके निधन की खबर फैली तो पूर्व गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद, संत रविशंकर महाराज (रावतपुरा), यूपी अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सीबी पालीवाल, ठुमरी गायक छन्नू महराज (बनारस), पूर्व मुख्य सचिव राजीव कुमार, एसपी जालौन ने उनके पुत्र गुरु प्रसाद को फोन कर संवेदना जताई। उन्होंने मॉरीशस, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, इंग्लैंड आदि देशों में रामकथा सुनाई।
वे अपने गांव में भगवान शंकर का एक भव्य मंदिर बनाने की योजना को अंतिम रुप देने में जुटे थे। उन्होंने पैतृक गांव पचोखरा में नि:शुल्क अस्पताल बनवाया था। इसमें रविवार के दिन बाहर से आए डॉक्टर लोगों की जांच कर उन्हें नि:शुल्क दवाएं देते थे। इसके अलावा कैंप लगाकर गरीबों को कपड़े और खाने पीने का सामान भी समय-समय पर बांटते रहते थे।
अमरदान के तीन पुत्र थे। सबसे बड़े राजेश रामायणी, दूसरे विवेक शर्मा और मुन्ना शर्मा हैं। राजेश्वरानंद की पुत्री अर्चना उपाध्याय भी अपने पिता की तरह रामकथा कहती हैं जबकि पुत्र गुरुप्रसाद इस समय ग्राम प्रधान हैं।