पूजा में इन चीज़ों के प्रयोग से रुष्ट होते है भगवान शिव
हिन्दू धर्म ग्रंथानुसार देवो के देव महादेव ही मात्र एक ऐसे देवता है जिन्हे हर तरह से पूजा जा सकता है. वे अपने सरल स्वभाव के कारण ही भोलेनाथ के नाम से जाने जाते है और सावन का महीना तो है ही भोलेनाथ को समर्पित, इस महीने में उन्हें प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता हैं. शंकर भगवान को फूल,अकौड़ा, धतूरा,चन्दन, फल, भांग और बलि किसी भी तरह से पूजा जा सकता है, वो हर तरह से अपने भक्तों पर सदैव प्रसन्न ही रहते है परन्तु मान्यता है कि भगवान शिव कि पूजा में कुछ चीज़ों का उपयोग करने से वो क्रोधित हो उठते है.
शंख : भगवान शंकर कि पूजा में शंख का प्रयोग नहीं करना चाहिए. शंकर जी ने शंखचूड़ राक्षस का वध किया है इसलिए उनकी पूजा में शंख का निषेद्ध है.
तुलसी: जब माता तुलसी वृंदा रूप में थी तब शिवजी ने उनके पति जलंधर का वध किया था इसीलिए शिव के भोग में बेलपत्र चढ़ता है तुलसी नहीं.
खंडित अक्षत: शिव जी की पूजा में विशेष रूप से इस बात का ध्यान रखें कि उन्हें टूटे चावल यानि खंडित अक्षत ना चढ़ायें.
केतकी पुष्प: एक बार केतकी ने शिव जी से झूठ बोला था इसलिए शिव जी पर केतकी का पुष्प अर्पित नहीं होता वैसे शिव पर गुड़हल का फूल भी नहीं चढ़ाना चाहिए.
लाल चंदन: भगवान शिव बैरागी हैं इसलिए उन पर बैराग्य का प्रतीक केसरिया या पीला चंदन चढ़ान चाहिए, लाल चंदन उन पर बिलकुल नहीं चढ़ाना चाहिए.