पीरामल ग्रुप ने डीएचएफएल के अधिग्रहण के लिए जीती बोली, सीओसी की ओर से 94 फीसद मिले वोट

पीरामल ग्रुप ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) के अधिग्रहण के लिए बोली जीत ली है। सूत्रों के मुताबिक, कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) की ओर से पीरामल के प्रस्ताव को 94 फीसद वोट मिले हैं। बोली जीतने के लिए न्यूनतम 66 फीसद की जरूरत थी।

इस मामले में दूसरी बड़ी प्रतिद्वंद्वी कंपनी ओकट्री कैपिटल को करीब 45 फीसद वोट मिले। पीरामल ने कुल 37,250 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया था, जबकि ओकट्री का प्रस्ताव 38,400 करोड़ रुपये का था। हालांकि पीरामल ने ज्यादा अपफ्रंट कैश पेमेंट का प्रस्ताव दिया है। दिवालिया हो चुकी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी डीएचएफएल पर कुल करीब 90 हजार करोड़ का कर्ज है। अदाणी ग्रुप ने भी शुरुआत में इसमें रुचि दिखाई थी, लेकिन बाद में पीछे हट गया।

कर्ज के बोझ तले दबी और आइबीसी के तहत समाधान प्रक्रिया से गुजर रही डीएचएफएल के अंतिम दोनों बोलीकर्ताओं में पिछले दिनों तेज खींचतान दिखी है। पिछले दिनों अमेरिका की ओकट्री ने विदेशी निवेशक होने के कारण खुद से भेदभाव का भी आरोप लगाया था। हालांकि पीरामल का कहना है कि आइबीसी में सभी निवेशकों को समान महत्व दिया जाता रहा है और इसके तहत अब तक के सबसे बड़े समाधान के तहत एस्सार स्टील के लिए एक विदेशी निवेशक को ही चुना गया।

जानकारों का मानना है कि डीएचएफएल का इंश्योरेंस कारोबार ओकट्री के लिए बाधा है, क्योंकि उसमें पहले से ही 49 प्रतिशत विदेशी निवेश है। ऐसे में उसकी बिक्री के लिए ओकट्री को पहले एक भारतीय खरीदार खोजना पड़ेगा। घरेलू कंपनी होने के चलते पीरामल के साथ ऐसी कोई बाध्यता नहीं है। पीरामल ने हाल में यह आरोप भी लगाया था कि ओकट्री इस समाधान प्रक्रिया को खुली नीलामी की ओर ले जा रही है, क्योंकि अंतिम बोली की तिथि के बाद भी वह लगातार नई पेशकश कर रही है।

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