पत्नियों के खाते में सीधे भेजी जाए गुजारा भत्ता की राशि

पारिवारिक अदालतों में गुजारा भत्ता देने में घूसखोरी का मामला

लखनऊ : अधिवक्ता रजनीश मिश्र और जय बहादुर तथा मृगेंन्द्र पांडेय ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश को पत्र लिखकर मांग की है कि पारिवारिक न्यायालय मंे पतियों द्वारा दिये जाने गुजारा भत्ता की राशि को बिचौलयों की घूस से बचाने के लिए गुजारा भत्ता राशि सीधे उनके खाते में आर टी जी एस पद्धति से भेजने की मांग की है। रजनीश मिश्र ने अपने पत्र में कहा कि पारिवारिक न्यायालय पत्नियों के लिए गंुजारा भत्ता तय करता है। यह राशि पतियो ंद्वारा पत्नियों के लिए पारिवारिक न्यायालय के कोष में जमा की जाती है। उसके बाद इस राशि के चेक बनते हैं और गरीब पत्नियों को सुविधा शुल्क लेने के बाद ही जारी किये जाते हैं। यदि किसी पत्नी को गुजारा भत्ता एक हजार रूपए तय होता है तो उसमें से सौ रूपए से लेकर पांच सौ रूपए तक सुविधा शुल्क वसूला जाता है उसके बाद ही उस राशि का चेक दिया जाता है।

जय बहादुर सिंह ने कहा कि बहुत सी गरीब महिलाएं है जिनको अदालत पतियों से गुजारा भत्ता दिलाती है। इस राशि में सुविधा शुल्क लिये जाने के बाद गरीब महिलाओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। इसलिए पत्नियों की गुजारा भत्ता की राशि सीधे उनके खाते में आरटीजीएस के माध्यम से भेज कर उन लोगों को घूसखोर कर्मचारियों के शोषण से बचाया जाए। लखनऊ बार के पूर्व अध्यक्ष मृगेंद पांडेय ने कहा कि अदालत महिलाओं को शोषण से बचाए और केदं और प्रदेश सरकार की केैशलेस ट्रांजेक्शन योजना को लागू करे जिससे महिलाओं को शोषण और घूसखोरों से बचाया जा सके।

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