नोटबंदी के बाद अब बदल जाएगा आपकी सैलरी पाने का तरीका

नोट बंदी के बाद दिसंबर में पहली सैलरी आने वाली है। कैश की कमी का सामना कर रहे लोगों को इस सैलरी का बेसब्री से इंतजार है, लेकिन नोट बंदी के बाद कई सेक्टर्स में काम कर रहे कर्मचारियों को सैलरी मिलने में परेशानी हो सकती है।
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सबसे अधिक परेशानी स्मॉल एंड मीडियम कैटेगिरी की कंपनियों के साथ-साथ अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर में काम कर रहे कर्मचारियों को आ सकती है। यहां तक कि बड़ी-बड़ी कंपनियों में भी सैलरी के एक पार्ट को लेकर दिक्कत हो सकती है।
इस वजह से सभी कंपनियां सैलरी के तरीके में बदलाव करने की रणनीति में जुटी हैं। कंपनी मैनेजमेंट में इन दिनों इस पर विचार विमर्श चल रहा है। आज हम आपको बता रहे हैं कि किस सेक्टर में नोट बंदी के बाद सैलरी पेमेंट का सिस्टम किस तरह बदल जाएगा और इससे किसे फायदा या नुकसान हो सकता है।
बड़ी इंडस्ट्री में होगा क्या
कई बड़ी इंडस्ट्री में सैलरी का एक कैश पार्ट होता है। ऐसा पार्ट, जिसका भुगतान कैश में किया जाता है और कंपनी बाउचर पेमेंट दिखाती है। कई कर्मचारी या अधिकारी कैश पेमेंट लेने में इसलिए तैयार हो जाते हैं, क्योंकि इससे वे अपना इनकम टैक्स बचा लेते हैं। वहीं कंपनियां भी कैश में की गई सेल्स को यहां एडजस्ट कर देती है। अब जब बड़े नोट बंद हो चुके हैं और नई करंसी पूरी तरह से बाजार में नहीं आई है तो दिसंबर में कैश पार्ट को लेकर रणनीति तैयार की जा रही है।
इंडस्ट्री सोर्सेज का कहना है कि ज्यादातर कंपनियों में दिसंबर माह का कैश पार्ट एडवांस सैलरी के पार्ट के तौर पर अकाउंट में ट्रांसफर किया जा सकता है। इसके अलावा कुछ कंपनियां दिसंबर माह का कैश पार्ट नहीं देगी और बाद में इसे एडजस्ट किया जाएगा।
एमएसएमई सेक्टर में कैसे मिलेगी सैलरी
दिसंबर माह में एमएसएमई सेक्टर में सैलरी को लेकर जबरदस्त क्राइसिस हो सकती है। इसकी बड़ी वजह यह है कि एमएसएमई सेक्टर में डेली वेजिस कर्मचारियों की संख्या बहुत अधिक है, जिन्हें ऑन रिकॉर्ड सैलरी नहीं दी जाती और उन्हें कैश भुगतान किया जाता रहा है। लेकिन यदि अगले कुछ दिन तक कैश का संकट इसी तरह रहा तो दिसंबर में ज्यादातर छोटी कंपनियों में सैलरी देने का संकट पैदा हो सकता है।
जानकारों का कहना है कि कई छोटी कंपनियों ने भी अपने वर्कर्स की सैलरी उनके अकाउंट में ट्रांसफर करने की तैयारी कर ली है और अपने अकाउंट्स डिपार्टमेंट को कह दिया है कि वे वर्कर्स के अकाउंट्स की डिटेल ले लें। वहीं, अब तक जिन वर्कर्स का नाम कंपनी के रिकॉर्ड में नहीं है उन्हें नए वर्कर्स के तौर पर अप्वाइंटमेंट दिखाया जा रहा है। हालांकि अभी यह बहुत कम है, लेकिन कुछ जगह ऐसा हो रहा है। ताकि वर्कर्स को दिसंबर में सैलरी दी जा सके। वहीं, कुछ वर्कर्स को थोड़ा-थोड़ा नगद भुगतान करने की तैयारी है, ताकि उन्हें दिक्कत न हो।
कैसे मिलेगी कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे लोगों को सैलरी
चाहे सरकारी डिपार्टमेंट हो, कॉरपोरेट कंपनी हो या छोटी कंपनी, पिछले कुछ सालों से आउटसोर्सिंग के माध्यम से काम कराने का चलन बढ़ा है। खासकर हाउस कीपिंग और सिक्योरिटी का काम तो लगभग हर कंपनी ने आउटसोर्स किया हुआ है। हर कंपनी में कई-कई कॉन्ट्रैक्टर्स काम कर रहे हैं और कॉन्ट्रैक्टर्स अपने वर्कर्स को अब तक कैश से सैलरी देते रहे हैं। ये कॉन्ट्रैक्टर्स मिनिमम वेजेज के नियम की पालना नहीं करते हैं और वर्कर्स को मिनिमम वेजेस तक नहीं देते हैं, इसलिए कैश में पेमेंट की जाती है। कॉन्ट्रैक्टर्स के लिए दिसंबर माह की सैलरी देना किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
ऐसे में, कॉन्ट्रैक्टर्स जितना हो सके, उतने कैश का इंतजाम कर रहे हैं। इसके अलावा रोल (रजिस्टर्ड) पर तैनात कर्मचारियों की सैलरी तो अकाउंट में ट्रांसफर की जाएगा, शेष कर्मचारियों की सैलरी कैश में थोड़ी-थोड़ी दी जाएगी। इतना ही नहीं, कंस्ट्रक्शन सेक्टर में ज्यादातर कॉन्ट्रैक्ट लेबर से काम कराया जाता है, जिसके लिए भी कॉन्ट्रैक्टर्स ने लेबर को अकाउंट खोलने के निर्देश जारी कर दिए हैं, जबकि कई लेबर की छंटनी कर दी गई है।