नए मतदाताओं पर राजनीतिक दलों की नजर

लोकसभा चुनाव का मैदान मारने को सभी दलों ने अपने-अपने प्रयास शुरू कर दिए हैं। सत्ताधारी दल और विपक्षी पार्टियां उपलब्धियों-खामियों के मुद्दे उछालकर मतदाताओं पर असर डालने की जुगत में है। इस सबसे अलग सबसे तेज दौड़ नए मतदाताओं को अपने पाले में करने की चल रही है। यह रणनीति सजाने में भी भाजपा और सपा ज्यादा सक्रिय नजर आ रही हैं, जबकि कांग्रेस में कुछ उदासीनता है।

निर्वाचन आयोग ने एक जून से मतदाता सूची संवर्धन का काम शुरू कर दिया है। इसके साथ ही भाजपा ने भी अपनी टीम लगा दी है। कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र से लेकर विधानसभा क्षेत्र तक मतदाता सूची प्रमुख बना दिए गए हैं। जल्द ही वार्ड और बूथ स्तर पर मतदाता सूची प्रमुख बनाए जाएंगे। पार्टी ने जोर दिया है कि जो युवा एक जनवरी 2019 को 18 वर्ष के हो रहे हैं, उन्हें सूचीबद्ध कर मतदाता फॉर्म भरवा लें। साथ ही निष्क्रिय बीएलओ को भी चिन्हित करते रहें। इसी तरह सपा ने अपने कार्यकर्ताओं को मतदाता सूची संवर्धन में लगा दिया है। पार्टी की रणनीति है कि नए वोटर बनने जा रहे युवाओं से अधिकाधिक संपर्क कर उन्हें अखिलेश सरकार के काम बताएं और मौजूदा सरकार की खामियां बताएं। समझाएं कि बेरोजगारी कैसे बढ़ रही है। उधर, कांग्रेस की ऐसी कोई तैयारी फिलहाल जमीन पर नजर नहीं आ रही है। गुटबाजी की सबसे ज्यादा शिकार पार्टी कांग्रेस में सिर्फ टिकट की जोर आजमाइश और जयंती-पुण्यतिथि के कार्यक्रम ही चल रहे हैं। हालांकि मतदाता सूची संवर्धन पर गंभीरता से काम अभी भी शुरू नहीं किया गया है।

Back to top button