नई विश्व व्यवस्था के मुकाम पर पहुंचायेगा न्यायधीशों का यह सम्मेलन -बृजेश पाठक

कानून एवं न्यायमंत्री बृजेश पाठक ने किया सम्मेलन के तीसरे दिन का उद्घाटन
विस अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने न्यायविदों के सम्मान में दिया रात्रिभोज

लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल द्वारा आयोजित ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 19वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ के तीसरे दिन का उद्घाटन रविवार को प्रातः प्रदेश के कानून एवं न्यायमंत्री बृजेश पाठक ने दीप प्रज्वलित कर किया, जबकि समारोह की अध्यक्षता तुवालू के गर्वनर-जनरल सर इकोबा टी. इटालेली ने की। सम्मेलन का शुभारम्भ सी.एम.एस. राजेन्द्र नगर (प्रथम कैम्पस) के छात्रों द्वारा प्रस्तुत स्कूल प्रार्थना ‘आई बियर विटनेस ओ माई गॉड’ से हुआ तथापि सी.एम.एस. छात्रों ने विश्व के ढाई अरब बच्चों का प्रतिनिधित्व करते हुए जोरदार शब्दों में अपनी अपील प्रस्तुत करते हुए मानवाधिकारों एवं एकता, शान्ति व न्याय पर आधारित विश्व व्यवस्था की माँग की। इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रतिभाग कर रहे 71 देशों के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, गवर्नर-जनरल, पार्लियामेन्ट के स्पीकर, न्यायमंत्री, इण्टरनेशनल कोर्ट के न्यायाधीश, विश्व प्रसिद्ध शान्ति संगठनों के प्रमुखों समेत 370 से अधिक मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों व कानूनविदों ने छात्रों की अपील का पुरजोर समर्थन किया। अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन के तीसरे दिन के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए मुख्य अतिथि बृजेश पाठक, कानून एवं न्यायमंत्री, उ.प्र. ने कहा कि मुझे विश्वास है कि यह सम्मेलन विश्व के देशों को नई विश्व व्यवस्था के मुकाम पर पहुँचायेगा। मैं डॉ. जगदीश गाँधी के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होने आज की जरूरत को पहचाना और विश्व के बच्चों के सुरक्षित व सुखमय भविष्य के लिए विगत कई वर्षों से इस सम्मेलन को आयोजित कर रहे हैं। विभिन्न देशों से पधारे न्यायाधीशों व कानूनविदों की आवाज वैश्विक शान्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए तुवालू के गर्वनर-जनरल सर इकोबा टी. इटालेली ने कहा कि विश्व में आज सबसे बड़ी समस्यायें भुखमरी, गरीबी, अशिक्षा, आतंकवाद इत्यादि हैं। देश हथियारों पर अधिक खर्च कर रहे हैं बजाय लोगों के उत्थान पर। सम्मेलन के तीसरे दिन के पहले प्लेनरी सेशन में अपने विचार रखते हुए अफगानिस्तान के न्यायमंत्री डा. अब्दुल बशीर अनवर ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय कानून इतना प्रभावशाली होना चाहिए कि इसमें राजनीतिकरण न हो सके। इजिप्ट के डेप्यूटी चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति आदेल ओमर शेरीफ ने कहा कि ग्लोबल गर्वनेन्स का समय आ चुका है। गैर सरकारी संस्थायें व सोशल मीडिया वास्तव में ग्लोबल्स गर्वनेन्स के ही रूप हैं। हमें सोचना है कि किस प्रकार इस राजनैतिक परिवेश को विश्व शांति की स्थापना के लिए इस्तेमाल किया जाए ताकि बच्चों व आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इरीटिका के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मेन्केरियस बेराकी ने कहा कि इथोपिया के साथ अपने 20 वर्षों तक चले संघर्ष में जान व माल के नुकसान व युद्ध की भीषणता को देखा है और इसलिए बच्चों के भविष्य की सुरक्षा के लिए कदम उठाने की महत्ता से हम भरपूर वाकिफ हैं। उन्होने विश्व सरकार व वैश्विक कानून की सी.एम.एस. छात्रों की मांग का पुरजोर समर्थन किया। गुयाना के एक्टिंग चांसलर न्यायमूर्ति योनेट क्यूमिंग एडवर्डस ने हम एक दूसरे पर बंधी मुट्ठी तान कर दुनिया में बदलाव नहीं ला सकते। विश्व के नेताओं का आहवान करते हुए उन्होंने कहा कि हाथ से हाथ मिलाएं और ऐसा विश्व बनाएं जहाँ शांति व एकता का साम्राज्य हो और हमारे बच्चे सुरक्षित रह सके।

भारतीय सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए. पी. मिश्रा ने कहा कि शांति के लिए वार्ता करने के लिए सी.एम.एस. सबसे पवित्र स्थान है। यदि हम यू.एन. चार्टर में बदलाव नहीं ला सकते तो सभी देशों के नेतृत्वों को वार्ता के माध्यम से विश्व में शांति स्थापित करने का दायित्व उठाना होगा। कैमरून के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति म्वोन्डो इवेजो जीन पीरे ने कहा कि शिक्षा घर से शुरू होती है इसलिए बच्चों को हमेशा अपने माता-पिता की बात माननी चाहिए क्योंकि वे उनके भविष्य के प्रति चिंतित होते हैं। युगांडा सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एल्दाद वानगुसया का कहना था कि बच्चों के अधिकारों से छेड़छाड़ का अधिकार किसी को नहीं है। लेसोथो के पूर्व प्रधानमंत्री पकालीथा बी मोसिसिली का कहना था कि सबसे महंगी शान्ति भी वास्तव में सबसे सस्ते युद्ध से सस्ती है। उन्होंने आगे कहा कि बच्चों को शिक्षा के माध्यम से सशक्त किया जा सकता है। इसी प्रकार, फेडरेशन ऑफ वर्ल्ड पीस एण्ड लव, ताईवान के प्रेसीडेन्ट डा. हांग टो टेज का कहना था कि हम इतिहास से सीखते हैं और हम भी इतिहास हो जायेंगे। परन्तु बच्चों पर ही विश्व का दारोमदार टिका है। मानवाधिकार के बिना प्रेम व शान्ति संभव नहीं है। हमें अपनी अंतरात्मा को जागृत करके एक शान्तिपूर्ण विश्व का द्वार खोलना होगा।

इस ऐतिहासिक सम्मेलन के संयोजक व सी.एम.एस. संस्थापक, प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने आज अपरान्हः सत्र में आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में मुख्य न्यायाधीशों के विचारों से अवगत कराते हुए कहा कि न्यायविदों व कानूनविदों का कहना था कि हम लोगों के बीच संस्कृति, मान्यताओं व सामाजिक मूल्यों की विभिन्नताएं होने के बावजूद हम सब भाई बहन हैं और जब तक हम इन विभिन्नताओं में एकता नहीं स्थापित करते, हम शान्ति व सुख से नहीं रह सकते। न्यायविदों का मानना था कि बच्चे एक सुरक्षित भविष्य चाहते हैं। अतः एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण होना चाहिए जिससे विश्व में न्याय, एकता व शान्ति स्थापित हो सके, शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाये, बच्चों पर अत्याचार और अन्याय समाप्त हो, सबको चिकित्सा का लाभ मिल सके और युद्ध समाप्त हो। सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी हरि ओम शर्मा ने बताया कि विभिन्न देशों से पधारे अतिथियों को प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने रविवार को सायं इन्दिरा गाँधी प्रतिष्ठान के ज्यूपिटर हाल में रात्रिभोज दिया। प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष की सद्भावना को सभी आमन्त्रित अतिथियों ने सराहा तथापि सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने श्री दीक्षित के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। श्री हरि ओम शर्मा ने बताया कि 71 देशों से पधारे न्यायविदों व कानूनविदों के सारगर्भित विचारों का दौर जारी है जिसके अन्तर्गत एक नवीन विश्व व्यवस्था पर गहन चिन्तन, मनन व मंथन चल रहा है।

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