संघ भागवत बोले- अयोध्या में सिर्फ राम मंदिर बनेगा, कोई दूसरा ढांचा नहीं

आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के मध्यस्थता प्रयासों के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह मोहन भागवत ने राम मंदिर निर्माण पर बड़ा बयान दिया है।  शुक्रवार को कहा है कि अयोध्या में सिर्फ राम मंदिर बनेगा। वहां कोई दूसरा ढांचा नहीं खड़ा होगा। हम राम मंदिर जरूर बनाएंगे। यह लोकलुभावन घोषणा नहीं है बल्कि हमारी आस्था का सवाल है। इसमें कोई बदलाव नहीं होगा।
 संघ भागवत बोले- अयोध्या में सिर्फ राम मंदिर बनेगा, कोई दूसरा ढांचा नहींमंदिरों के नगर के रूप में विख्यात कर्नाटक के उडुपी शहर में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के धर्म संसद के उद्घाटन भाषण में भागवत ने कहा, ‘यह मामला कोर्ट में है लेकिन इसमें कोई संशय नहीं रहना चाहिए कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा। बरसों के प्रयासों और बलिदान के बाद राम मंदिर का निर्माण अब संभव लग रहा है।’
उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम की जन्मभूमि पर बनने वाला मंदिर वहां पहले मौजूद मंदिर की तरह ही भव्य होगा, जिसे तोड़कर मुगल शासक बाबर ने मस्जिद का निर्माण करवाया था। राम मंदिर के निर्माण में उन्हीं पत्थरों का इस्तेमाल किया जाएगा जिन्हें इस उद्देश्य के लिए वहां रखा गया है।

यह निर्माण उन लोगों की देखरेख में होगा जो पिछले 25 सालों से राम जन्मभूमि आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं। लेकिन साथ ही यह भी कहा कि मंदिर बनाने से पहले हमें सावधान रहना होगा और इस मामले में जनता को जागरूक बनाने का काम करना होगा। उन्होंने कहा कि हम अपने लक्ष्य को हासिल करने के बेहद करीब है और इस समय हमें ज्यादा सतर्क रहना होगा।

धर्म परिवर्तन और गोरक्षा पर भी होगी चर्चा
तीन दिन तक चलने वाली धर्म संसद में राम मंदिर के अलावा धर्म परिवर्तन और गोरक्षा के मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी। इस दौरान जाति और लिंग के आधार पर भेदभाव को खत्म करने और हिंदू समाज में समरसता कायम करने के तरीकों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। विहिप की इस संसद में देश भर से साधु-संतों, मठ प्रमुखों और विहिप के 2000 से ज्यादा प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
आर्ट ऑफ लिविंग के प्रमुख श्रीश्री रविशंकर बड़ी उम्मीद के साथ अयोध्या में रामजन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद का समाधान निकालने निकले थे। रविशंकर बहुत योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ रहे थे। उच्चपदस्थ सूत्र बताते हैं कि आगे बढ़ने से पहले रविशंकर ने केंद्र सरकार और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक अपना संदेश पहुंचा दिया था, लेकिन उन्हें सिर मुंड़ाते ही ओले का सामना करना पड़ा।

बंगलुरू में आयोजित धर्म संसद में पहुंचे सूत्र का दावा है कि अयोध्या पहुंचते-पहुंचते रविशंकरको अपनी साख पर बट्टा साफ दिखाई देने लगा और वह चुपचाप इस मुद्दे से अभी खिसक लेने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं।

यह थी रविशंकर की योजना
श्रीश्री की योजना इस मुद्दे पर जोरदार मध्यस्थता की थी। वह इसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के धार्मिक नेताओं तथा देश के भीतर हिंदू-मुस्लिम धर्म के साधु-संतों के बीच तालमेल बनाकर समाधान निकालने की फिराक में थे। इसके लिए वह काफी सोच समझकर इंतजाम के साथ आगे बढ़े थे।

हालांकि श्रीश्री के पास मौजूद किसी फार्मूले की कोई भनक नहीं मिल पाई है, लेकिन उनके एजेंडे में अपनी छवि के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को भी निखारना था। इसी के इर्द गिर्द वह अपनी योजना को अंजाम दे रहे थे। अजमेर शरीफ दरगाह के प्रमुख समेत अन्य के गृहमंत्री राजनाथ सिंह से भेंट की योजना का मकसद भी यही था। इसी का अगला पड़ाव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर अयोध्या जाने का था।

 
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