बेटे की चाह में 11 बेटियों की मां बन गई ये महिला, और साथ में दो बच्चों की नानी

छोटा परिवार सुखी परिवार…का ये नारा सरकारों ने खूब दिया, लेकिन हकीकत इसके उलट हो रही है। स्थिति ये है कि बेटे की चाह में लोग इस कदर जुनूनी हैं कि उन्हें बच्चों की संख्या से भी वास्ता नहीं रहा।
ताजा मामला राजस्थान के श्रीगंगानगर से जुड़ा है। यहां सादुलशहर तहसील के कलवासिया गांव में रहने वाली मन्नी देवी ने बेटे की चाह में एक बार फिर बेटी को जन्म दिया। मन्नी और उसके पति रामप्रताप की यही चाह अब तक 11 बेटियों के मां-बाप बना चुकी है। बीते 9 नवंबर को भी एक बार फिर प्रसव पीड़ा होने पर मन्नी को सरकारी अस्पताल ले जाया जा रहा था। इसी दौरान मन्नी ने एंबुलेंस में ही बच्ची को जन्म दे दिया। हालांकि, देखरेख होने के चलते जच्चा-बच्चा दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां दोनों का स्वास्थ्य ठीक है।

दंपती का कहना है कि उनकी शादी 1991 में हुई थी। मन्नी के भी तीन बहनें हैं। तभी से उनके मन में एक बेटे की चाह हमेशा से रही। उन्होंने बताया कि अभी तक किसी ने भी उन्हें परिवार नियोजन के लिए नहीं बताया। ऐसे में ये सवाल भी खड़ा होता है कि आखिर सरकार के नुमाइंदे दूरदराज के गांव-ढाणियों में परिवार नियोजन को कितने जागरूक हैं इसका उत्तर भी मन्नी देवी का 11 बेटियों को जन्म देना है।

बाबा देते बेटा होने की दवा

पति रामप्रताप ने बताया कि अभी उनके 10 बेटियां जिंदा है और पहले एक बेटी की जन्म के बाद ही मौत हो चुकी है। उनकी सबसे बड़ी बेटी माया है जिसके दो बच्चे हैं। इसके बाद मंगलो है जिसकी भी शादी हो चुकी है। इनके साथ ही दंपती के अनुसइया, बस्सी, रानी, मुक्ता, जमुना, कविता और इंद्रा अभी पढ़ रही हैं। रोजाना दिहाड़ी मजदूरी करके ही उनके परिवार का लालन पालन होता है।

हालांकि, उन्होंने एक सवाल के जवाब में ये भी कहा कि आज के समय में इतने बच्चों को पालना समस्या तो है, लेकिन बाबाओं-तांत्रिकों के चक्कर में पड़कर भी उनका परिवार इतना बढ़ गया। बेटे की चाह में वे भी कई बाबाओं के पास गए और बाबा बेटा होने की दवा देते, जिसके बाद मन्नी उसे लेती। ​लेकिन इस दवा के बाद भी उनके बेटियों का ही जन्म हुआ।

उन्होंने ये भी बताया कि उन्हें किसी भी अस्पताल में नसबंदी कराने की सलाह नहीं दी गई।

 
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