दुश्मनों से मिलेगी पूर्ण मुक्ति, ऐसे करें मां काली की उपासना
कुल दस महाविद्या के स्वरुप माने गए हैं. मां काली उनमे प्रथम हैं. शुम्भ-निशुम्भ के वध के समय मां के शरीर से एक तेज पुंज बाहर निकल गया था. फलस्वरूप उनका रंग काला पड़ गया और तभी से उनको काली कहा जाने लगा. इनकी पूजा उपासना से भय नाश, आरोग्य की प्राप्ति, स्वयं की रक्षा और शत्रुओं का नियंत्रण होता है. इनकी उपासना से तंत्र मंत्र के सारे असर समाप्त हो जाते हैं. मां काली की पूजा का उपयुक्त समय रात्रि काल होता है. पाप ग्रहों, विशेषकर राहु और केतु की शांति के लिए मां काली की उपासना अचूक होती है.
– मां काली की उपासना दो प्रकार से होती है- सामान्य पूजा और तंत्र पूजा.मां काली की पूजा की विशेषता और सावधानियां क्या हैं?
– सामान्य पूजा कोई भी कर सकता है परन्तु तंत्र पूजा बिना गुरु के संरक्षण और निर्देश के नहीं की जा सकती है.
– मां काली की उपासना का सबसे उपयुक्त समय मध्य रात्रि का होता है.
– मां काली की उपासना में लाल और काली वस्तुओं का विशेष महत्व होता है, जो सामान्यतः इन्हें अर्पित की जाती हैं.
– मां काली की उपासना शत्रु और विरोधी को शांत करने के लिए करनी चाहिए.
– किसी के नाश अथवा मृत्यु के लिए मां की उपासना नहीं करनी चाहिए.
– मां काली के मंत्र जाप से ज्यादा इनका ध्यान उपयुक्त होता है.
विरोधी या शत्रु या मुकदमे की समस्याओं से ऐसे पाएं मुक्ति?
– मां काली के समक्ष दीपक और गुग्गल की धूप जलाएं.
– मां को प्रसाद में पेड़े और लौंग अर्पित करें.
– शत्रु और मुकदमे से मुक्ति की प्रार्थना करें.
– मंत्र जाप के बाद 14 मिनट तक जल का स्पर्श न करें.
– ये प्रयोग लगातार 27 रातों तक करें.
खुद को सुरक्षित रखने का विशेष प्रयोग-
– काले तिल की ढेरी पर मां काली का चित्र या मूर्ति स्थापित करें.
– उनके सामने दीपक और गुग्गल की धूप जलाएं.
– मां को अपनी आयु के बराबर लौंग अर्पित करें.
– साथ में एक छेद वाला ताम्बे का सिक्का भी अर्पित करें.
– मां के समक्ष “क्रीं ह्रीं काली ह्रीं क्रीं स्वाहा” का 27 माला जाप करें.
– इसके बाद छेद वाले ताम्बे के सिक्के को लाल धागे में डालकर गले में धारण करें.
– आप हर प्रकार के तंत्र-मंत्र, दुर्घटना और ग्रह बाधा से बचे रहेंगे.