दुनिया की सबसे बड़ी रसोई, जहां रोज लाखों लोग मुफ्त में खाते है खाना

देश में दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है, जहां हर रोज लाखों लोग मुफ्त में खाना खाते हैं। यहां अब वो चीज पहुंच गई है, जो पिछले कई दिनों से खूब चर्चा में है।

 दुनिया की सबसे बड़ी रसोई, जहां रोज लाखों लोग मुफ्त में खाते है खाना

और ये चीज है, वो बर्तन जिसमें बाबा रामदेव ने चार नवंबर को 918 किलो खिचड़ी बनाई थी। यह बर्तन उन्होंने दरबार साहिब की रसोई को दान कर दिया है। बुधवार को यह बर्तन दरबार साहिब पहुंचा। अब शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने भी अब इसी बर्तन में खिचड़ी पकाने का निर्णय लिया है।

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बता दें कि गोल्डन टैंपल की रसोई अपनी विशालता के कारण वर्ल्ड फेमस है। गुरुद्वारा के विशाल परिसर में मौजूद गुरु रामदास लंगर हाल में रोजाना 70 हजार से एक लाख तक लोग मुफ्त लंगर ग्रहण करते हैं। छुटिटयों में ये आंकड़ा बढ़ जाता है। खाने का स्वाद भी लजीज होता है।

दुनिया की सबसे बड़ी रसोई, जहां रोज लाखों लोग मुफ्त में खाते है खाना
लंगर में ऑटोमेटिक रोटी मेकर मशीन से एक घंटे में 25 हजार रोटी बनती है। इसके अलावा रोजाना 70 क्विंटल आटा, 20 क्विंटल दाल, सब्जियां, 12 क्विंटल चावल लगता है। 500 किलो देसी घी इस्तेमाल होता है। सौ गैस सिलेंडर, 500 किलो लकड़ी की खपत होती है।

गोल्डन टैंपल में 24 घंटे लंगर चलता है। शुद्ध शाकाहारी भोजन तैयार करने वाले यहां के कर्मचारी नहीं, ब्लकि सेवादार होते हैं, जोकि सेवाभाव से श्रद्धालुओं से लंगर तैयार करते हैं। बाद में उन्हें पंक्तियों में बैठाकर ग्रहण करवाते हैं। सभी कुछ काफी प्रेमभाव से होता है।

गुरु रामदास लंगर के मैनेजर का कहना है कि भोजन में क्या-क्या पकेगा, यह पहले से ही तय होता है। जैसे ही लोग पंक्तियों में बैठते हैं, तुरंत भोजन परोसना शुरू कर दिया जाता है। जैसे ही वे भोजन खाकर उठते हैं, बैटरी चालित मशीन से लंगर हाल की सफाई कर दी जाती है ताकि दूसरे लोग आकर बैठ सकें।

 
मैनेजर कहते हैं कि इतनी बड़ी रसोई से रोजाना खाना बनाने के लिए पैसा दुनिया में बसे लाखों सिख परिवार भेजते हैं। वे अपनी कमाई का दसवां भाग गुरुद्वारों की सेवा में अर्पित करते हैं। इन्हीं पैसों से गुरुद्वारों की प्रबंध और लंगर का खर्च चलता है।

शिरोमणि कमेटी के प्रधान अवतार सिंह मक्कड़ कहते हैं कि चूंकि लंगर का सारा कामकाज सेवा भावना और मन से किया जाता है, इसलिए यहां सब-कुछ अच्छा होता है। वैसे यहां इस्तेमाल होने वाली सभी वस्तुओं की क्वालिटी की परख की जाती है।

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