दिल्ली में गठबंधन पर लगा हरियाणवी ब्रेक, कांग्रेस और आप में नहीं बनी बात

आम आदमी पार्टी (आप) व कांग्रेस के बीच सियासी समझौते की गांठ मजबूत होने पहले ही बिखरती नजर आ रही है। दोनों के बीच बातचीत में हरियाणा का ब्रेकर लग गया है। सूत्रों की मानें तो बीते पांच दिनों से कोई औपचारिक संवाद नहीं हुआ है। दोनों पार्टियां मीडिया के जरिए एक-दूसरे तक अपनी बात पहुंचा रही हैं। कांग्रेस सिर्फ दिल्ली में ही गठबंधन करने को तैयार है। वहीं, आप सिर्फ दिल्ली में गठबंधन के लिए राजी नहीं है।

सूत्रों की मानें तो कांग्रेस की कोशिश अपनी शर्तों पर आप से समझौता करने की है। कांग्रेस की नजर में सिर्फ दिल्ली की सात सीटें हैं। जबकि आप गठबंधन को बड़े सियासी फलक पर देख रही है। अगर दिल्ली के अलावा हरियाणा व पंजाब में भी कांग्रेस व आप साथ-साथ चुनाव लड़ती तो करीब 30 लोकसभा सीटों पर भाजपा विरोधी वोटों को बंटने से रोका जा सकता था। 

सूत्रों का कहना है कि पंजाब में मुख्य विपक्षी दल होने के साथ आप के चार सांसद भी हैं। प्रदेश की सियासत में आप की मजबूत दखल भी है। लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री का गठबंधन विरोधी रुख व कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व की दुविधा को देखते हुए आप पंजाब के बिना भी समझौते के लिए राजी हो गई थी।  दूसरी तरफ दिल्ली में कांग्रेस का न तो एक सांसद है और न ही विधायक। फिर भी आप समझौते के लिए तैयार है, बशर्ते हरियाणा में भी इसका विस्तार किया जाए। लेकिन अब कांग्रेस की हरियाणा इकाई व उसके राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला के बयान से साफ है कि कांग्रेस समझौता सिर्फ दिल्ली पर करेगी। जबकि हरियाणा में आप और कांग्रेस के पास फिलहाल कुछ भी नहीं है। 

जींद का उपचुनाव दोहराना चाहते हैं सुरजेवाला : गोपाल राय
दिल्ली प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने सवाल किया कि सुरजेवाला का बताना चाहिए कि क्या वह जींद के उपचुनाव का दोहराना चाहते हैं, जहां वह चुनाव हार गए थे। अगर उस वक्त आप व जेजेपी के साथ कांग्रेस लड़ती तो भाजपा नहीं जीत पाती। लेकिन अब लोकसभा चुनाव में उनका अहंकार टकरा रहा है। कांग्रेस फिलहाल आत्ममुग्धता में आ गई है। वह महा भ्रम में है। दिल्ली में भाजपा को हराने में आप पूरी तरह सक्षम है।

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