रियल दंगल गर्ल गीता व बबीता ने मीडिया के सामने कही दिल की यह बात

कॉमनवेल्थ में देश के लिए सोना जीतने वाली दंगल गर्ल गीता फोगाट ने कहा कि देश के लिए कई पदक जीतने के बाद भी पहचान नहीं मिल सकी, लेकिन जब संघर्ष की कहानी दंगल फिल्म के जरिए सामने आई तो पूरा देश पहचान गया। मेरे जैसे बहुत खिलाड़ी आज भी पहचान के मोहताज हैं। खेलों में सिर्फ क्रिकेट के खिलाडि़यों को पहचान मिलती है। गीता फोगाट अपनी दो बहनों बबीता, ऋतु तथा पिता महावीर सिंह फोगाट के साथ रविवार को सीकर आई थीं।

यहां पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि खिलाड़ी को पहचान मिलने से उसका हौसला जीत के गोल में बदलता है। गीता की बहन व कुश्ती खिलाड़ी बबीता फोगाट ने कहा कि आज सब माता-पिता बच्चों को अंकों की दौड़ में दौड़ाने मेें लगे हैं। जबकि खेलों में भी कॅरियर बनाया जा सकता है।

[youtube youtubeurl=”PUhguqz6suk” ][/youtube]

बबीता व गीता का अगला लक्ष्य वर्ष 2020 में होने वाले ओलम्पिक में देश के लिए पदक जीतना है। इसके लिए वे अभी से छह से आठ घंटे नियमित अभ्यास में जुटी है। कोच व पिता महावीर फोगाट का कहना है कि हर मां-बाप अपने बच्चों के लिए सपने देखते हैं। यदि सपनों की इस जंग में बच्चों का पूरा मन से साथ मिलता है तो सपनों को पूरा होने से कोई नहीं रोक सकता है।

खेलों में भ्रष्टाचार से दुखी

दंगल गर्ल खेलों में भ्रष्टाचार से भी परेशान दिखीं। उन्होंने कहा भारत सरकार खेलों में बहुत पैसा खर्च कर रही है, लेकिन खिलाडिय़ों तक पूरा पैसा नहीं पहुंच पाता है। अधिकारी और खेल संगठनों के बीच में यह पैसा उलझ कर रह जाता है। उन्होंने माना कि खेलों में इस समय सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है। अपने संघ का उन्होंने बचाव भी किया और कहा कि हालांकि उनके संघ में ऐसा नहीं है।

हरियाणा से सीखे राजस्थान

बबीता व गीता फोगाट ने कहा कि राजस्थान के युवाओं में स्पीड व स्टेमिना काफी होता है। लेकिन कमजोर खेल नीति के कारण युवा खेलों की तरफ नहीं आ रहे हंै। सरकार को हरियाणा की तरह पदक जीतते ही नकद राशि और नौकरी देनी चाहिए।

Back to top button