…तो इसलिए मनाई जाती है मासिक कालाष्टमी

हिंदू धर्म के अनुसार हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन विशेष रूप से भोलेबाब के रौद्र रूप काल भैरव के पूजन का दिन होता है। माना जाता है कि अपने आसपास की नकारात्मक शक्तियों को खत्म करने के लिए भक्त इस दिन व्रत रखते हैं।...तो इसलिए मनाई जाती है मासिक कालाष्टमीधार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने पापियों का विनाश करने के लिए अपना रौद्र रूप धारण किया था। बात अगर पौराणिक मान्यताओं की करें तो भगवान शिव के दो रूप बताए जाते हैं, बटुक भैरव और काल भैरव।

बटुक भैरव अपने भक्तों को अपना सौम्य रूप प्रदान करते हैं जबकि काल भैरव को अपराधिक प्रवृत्तियों को नियंत्रित करने वाला माना जाता है। मासिक कालाष्टमी को पूजा रात को कि जाती है। इस दिन काल भैरव की 16 तरीकों से पूजा अर्चना होती है। रात को चंद्रमा को जल चढ़ाने के बाद ही ये व्रत पूरा माना जाता है।

इस दिन व्रत रखने वाले श्रद्धालु भोले बाबा के साथ माता पार्वती की कथा पढ़कर उनका भजन कीर्तन करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन पूजन करने वाले लोगों को भैरव बाबा की कथा को जरूर सुनना और पढ़ना चाहिए। इसके बाद उनके वाहन काले कुत्ते को भी भोजन अवश्य करवाएं। ऐसा करने से आपके आस-पास मौजूद नकारात्मक शक्तियों के साथ आर्थिक तंगी से जुझ रहे लोगों को भी राहत मिलती है।

Back to top button