मायाराम प्रत्यक्षदर्शी ने बताया की…जोर का धमाका हुआ, लगा आसमान ऊपर आ गया
मैं बॉयलर के बाहरी भाग में काम रहा था। मेरे जानने वाले तमाम साथी भीतर की तरफ थे। अचानक जोर का धमाका हुआ। लगा कि आसमान ऊपर आ गया। इसके बाद चारों तरफ धुआं और राख ही नजर आई।
बेल्ट के सहारे मैं बीम से लटक गया। आधा घंटा बाद जब हालात सामान्य हुए तो मैं वहां से उतर पाया। घटना के प्रत्यक्षदर्शी मायाराम इतना बताते-बताते दहशत से भर जाते हैं।
मायाराम बताते हैं कि स्थिति सामान्य होते ही वो और उनके साथी हरीशंकर ने लोगों को ऊपर से उतारना शुरू किया। घटना के थोड़ी ही देर में एंबुलेंस आ गई। इसलिए जल्दी से जल्दी लोगों को नीचे उतारकर लाना था। कोशिश थी कि उन्हें अस्पताल पहुंचाया जाए। राख और झुलसने की वजह से उनके अपने साथी पहचान में नहीं आ रहे थे।
मायाराम बताते हैं कि स्थिति सामान्य होते ही वो और उनके साथी हरीशंकर ने लोगों को ऊपर से उतारना शुरू किया। घटना के थोड़ी ही देर में एंबुलेंस आ गई। इसलिए जल्दी से जल्दी लोगों को नीचे उतारकर लाना था। कोशिश थी कि उन्हें अस्पताल पहुंचाया जाए। राख और झुलसने की वजह से उनके अपने साथी पहचान में नहीं आ रहे थे।
राजधानी के सिविल अस्पताल में राख से सने जले हुए कपड़े पहने बैठे मायाराम बताते हैं, अफरा-तफरी में साथियों को एंबुलेंस में पहुंचाते कब मैं यहां पहुंच गया, पता नहीं।
उनके साथी हरीशंकर की भी ऐसी ही हालत है। दोनों अपने साथियों के जल्द ठीक होने की दुआएं मांग रहे हैं। दोनों का कहना है कि किस्मत के चलते हम झुलसने से बच गए। पर साथियों के झुलसे हुए शरीर घटना भूलने नहीं दे रहे हैं।
उनके साथी हरीशंकर की भी ऐसी ही हालत है। दोनों अपने साथियों के जल्द ठीक होने की दुआएं मांग रहे हैं। दोनों का कहना है कि किस्मत के चलते हम झुलसने से बच गए। पर साथियों के झुलसे हुए शरीर घटना भूलने नहीं दे रहे हैं।
ट्रॉमा सेंटर में आए घायल संतोष के दोस्त सुरेश और छोटू चौधरी के भाई उपेंद्र बताते हैं कि अचानक विस्फोट के साथ आग का गोला, राख और भाप चारों तरफ फैल गई। वे लोग 10 से 12 मीटर ऊपर थे इसलिए बच गए लेकिन जितने लोग नीचे थे वे बुरी तरह झुलस गए। इसमें कई लोगों की मौत मौके पर ही हो गई।