जानिए, धरती को प्रणाम करने के लिए क्यों कहता है सनातन धर्म?

हिंदू धर्म या सनातन धर्म में सुबह उठने के बाद धरती पर पर रखने से पहले उसे प्रणाम करने की सलाह इसलिए दी जाती है क्योंकि धरती हमारी पालनकर्ता है। हमारे जीवन के लिए सभी आवश्यक पदार्थ धरती ही हमें उपलब्ध कराती है। फिर चाहे पानी हो या भोजन। धरती को प्रणाम करने और उसके प्रति आभार जताकर हम अपना सौभाग्य बढ़ा सकते हैं क्योंकि धरती को भी देवी मां का स्थान प्राप्त है…जानिए, धरती को प्रणाम करने के लिए क्यों कहता है सनातन धर्म?

सामाजिक महत्व
धरती को प्रणाम करने से अपनी मातृभूमि और धरती के प्रति हमारा लगाव बढ़ता है। हमारे अंदर अपने देश, अपनी भूमि के प्रति जिम्मेदारी का भाव पैदा होता है। कह सकते हैं कि बुजुर्ग हमारे अंदर जिम्मेदारी का भाव जगाने के लिए भी यह संस्कार हमें देते हैं।

यह है प्रणाम करने का तरीका
पांव जमीन पर रखने से पहले बिस्तर पर बैठे हुए ही हाथ से धरती पर स्पर्श कर प्रणाम करना चाहिए। इसके बाद अपनी नाक के सुरों को चेक करिए कि कौन-सा सुर अधिक चल रहा है। चेक करने के लिए नाक के आगे हथेली को उलटा करके रखें और तेजी से सांस छोड़े, जिस सुर से तेज सांस आए, उसी तरफ के पांव को सबसे पहले जमीन पर रखें। रातभर लेटे रहने से शरीर अकड़ जाता है। सुबह जब आप उठकर जब धरती का स्पर्श करते हैं तो पूरा शरीर झुकता है, जिससे रीढ़ की हड्डी और शरीर के जोड़ों की अकड़न दूर होती है और रक्त संचार सुचारू होता है।

धरती पर पैर रख इस दिशा में बढ़ाएं पहला कदम

उत्तर दिशा की तरफ चलें कुछ कदम। धन के देवता कुबेर की होती है यह दिशा। ऐसा करने से उन्नति का मार्ग खुलता है। धन की वर्षा होती है।

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