विस्फोट प्रकरणः गोद में बेटे का शव लेकर तीन घंटे भटकता रहा पिता

सरायइनायत में हुए विस्फोट में मृत मासूम बेटे का शव लेकर पिता शिवपूजन तीन घंटे तक इधर-उधर भटकता रहा। इस दौरान न डॉक्टर और न ही पुलिस, किसी ने उसकी खोज-खबर नहीं ली। लापरवाही की हालत यह रही कि एक बजे मृत घोषित किए गए मासूम विजयशंकर का शव शाम चार बजे के करीब मर्चरी भेजा जा सका। इस दौरान पिता व परिजन बिलखते रहे।

सरायइनायत के दुबावल में गंभीर रूप से घायल विजयशंकर व आयुष को लेकर उसके परिजन व ग्रामीण करीब एक बजे एसआरएन अस्पताल पहुंचे। यहां देखते ही डॉक्टरों ने विजयशंकर को मृत घोषित कर दिया। विजयशंकर का शव लेकर उसका चचेरा भाई संजय व चाचा रामपूजन एसआरएन पहुंचे थे। 

उन्होंने बताया कि डॉक्टरों ने आयुष को भर्ती कर लिया जबकि विजयशंकर को मृत बताकर वहां से जाने को कह दिया। इसके बाद वह कुछ देर तक वहां खड़े रहे। इसके बाद जानकारी के अभाव में शव लेकर घर के लिए चल दिए। रास्ते में शिवपूजन भी मिल गया।

सभी घर लौट रहे थे तभी गांव के किसी व्यक्ति ने फोन कर बताया कि पोस्टमार्टम व अन्य औपचारिकताएं मर्चरी में ही होंगी और पुलिस वहीं पर लिखापढ़ी करेगी। जिसके बाद वह शव लेकर दोबारा एसआरएन अस्पताल पहुंच गए। 

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि यहां पहुंचकर शिवपूजन ने एसआरएन चौकी पुलिस से संपर्क किया तो उसे झिड़क दिया गया। जिसके बाद वह पास ही स्थित एक पेड़ के नीचे गोद में बेटे का शव लेकर वहीं बैठ गया। जब उससे शव लेकर वहां बैठने का कारण पूछा गया तो वह फफक पड़ा। उसने बताया कि तीन घंटे से वह मासूम बेटे का शव लेकर इधर-उधर भटक रहा है। 

रूंधे हुए गले से उसने हाथ जोड़कर कहा कि ‘साहब हमार बचवा कै लाश मर्चरी में भेजवाय द्या’। इसी दौरान सरायइनायत थाने से वहां दो सिपाही पहुंचे। मीडिया का जमावड़ा देख उन्होंने एसआरएन चौकी में जाकर प्रभारी से संपर्क किया। जिसके बाद शाम चार बजे के करीब मासूम का शव मर्चरी भेजवाया गया। 

कैसे नहीं लगी भनक

इस घटना में एसआरएन चौकी पर तैनात पुलिसकर्मियों व एसआरएन अस्पताल कर्मचारियों व डॉक्टरों की भी लापरवाही सामने आई है। दरअसल जानकारों का कहना है कि आकस्मिक मौतों के मामलों में मरीज को मृत घोषित किए जाने के बाद डॉक्टरों को मेमो भेजकर पुलिस को इसकी जानकारी देनी चाहिए थी। 

चूंकि मामला सनसनीखेज था और इस बारे में वायरलेस पर भी सूचना प्रसारित हो रही थी, ऐसे में चौकी पुलिस को भी अलर्ट रहना चाहिए था। लेकिन, विजयशंकर के मामले में दोनों स्तर पर लापरवाही बरती गई। यही वजह रही कि मृत घोषित किए जाने के बाद परिजन शव लेकर चले गए। उधर, जब अस्पताल में शव न होने की जानकारी मिली तो पुलिस में हड़कंप मच गया। जानकारी पर अफसरों ने पूछताछ शुरू की तब जाकर छानबीन शुरू हुई। गनीमत रही कि शव लेकर शिवपूजन खुद ही अस्पताल चला आया।

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