गिरते रुपये को संभालने के लिए केंद्र सरकार अब जारी करेंगी NRI बॉन्ड्स
डॉलर के मुकाबले रुपये में लगातार गिरावट जारी है. सोमवार को रुपया एक डॉलर के मुकाबले 72.67 के स्तर तक पहुंच गया था. मंगलवार की बात करें, तो आज भी रुपया 72 के पार खुला है. गिरते रुपये को संभालने के लिए केंद्र सरकार अब एनआरआई बॉन्ड्स बेचने की योजना बना रही है.
सोमवार को वित्त मंत्रालय के दो अधिकारियों ने इस तरफ इशारा किया. उन्होंने संकेत दिया कि सरकार रुपये को सहारा देने के लिए एनआरआई बॉन्ड्स और डिपोजिट स्कीम्स ला सकती है.
क्या होते हैं NRI बॉन्ड्स?
अप्रवासी बॉन्ड्स अथवा एनआरआई बॉन्ड्स विदेशी मुद्रा जमा होती है. ये डिपोजिट्स विदेशों में रह रहे अप्रवासी भारतीयों के जरिये जुटाई जाती हैं. इन डिपोजिट्स के बदले उन्हें घरेलू स्तर से ज्यादा ब्याज दिया जाता है. अधिकतर समय इन डिपोजिट्स के लिए 3 से 5 साल का लॉक-इन पीरिएड होता है. यही नहीं, इन डिपोजिट्स पर आरबीआई की गारंटी भी होती है.
अभी साफ नहीं है रुख
हालांकि अभी सरकार ने एनआरआई बॉन्ड्स को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी है. सरकार ने अभी ये नहीं बताया है कि वह अगर एनआरआई बॉन्ड्स लाती है, तो उसके लिए क्या नियम व शर्तें होंगी.
ऐसे सहारा देते हैं NRI
लेकिन अतीत में भी एनआरआई बॉन्ड्स का सहारा लिया गया है. केंद्र सरकार ने 2013 में एनआरआई बॉन्ड स्कीम लाई थी. इस दौरान विदेशों में ऑपरेट करने वाले भारतीय बैंकों ने अप्रवासी भारतीयों को अपने डॉलर डिपोजिट करने के लिए प्रोत्साहित किया. अप्रवासी भारतीयों की तरफ से डिपोजिट किए गए डॉलर को भारतीय शाखाओं में बैंक भेज देते हैं. इससे गिरते रुपये को सहारा मिलता है.
NRIs को क्या मिलता है?
जब भी कोई अप्रवासी भारतीय घरेलू बैंक की विदेशी शाखा में डॉलर जमा करता है. तो इसके बदले उसे घरेलू स्तर से ज्यादा ब्याज दिया जाता है.
इसके साथ ही वे देश में अपने डॉलर को रुपये में कनवर्ट करने का मौका भी पाते हैं. हालांकि ऐसी ज्यादातर स्कीम में 3 से 5 साल का लॉक-इन पीरिएड होता है. इसका मतलब है कि इतने सालों तक वे डिपोजिट्स विद्ड्रॉ नहीं कर पाएंगे.