गर्मी में प्यास बुझाने के लिए पीते हैं सोडा, तो हो जाएं सावधान

गर्मी आते ही हम ठंडी चीजों का सेवन करते है। खुद को तरोताजा रखने के लिए हमें ज्यादा से ज्याद ठंडी चीजों का सेवन करते है।गर्मी में प्यास बुझाने के लिए पीते हैं सोडा, तो हो जाएं सावधान

गर्मी से राहत के लिए हम सोडा आधारित शीतल पेय पदार्थों का जमकर सेवन करने लगते हैं। लेकिन क्या आप जानते है जिस सोडा को आप अपनी प्यास बुझाने के लिए पी रहे है वो आपके शरीर को कितनी नुकसान पहुंचा रही है। सोडा भले ही कुछ पलों के हमें तरोताजा महसूस करवाती हैं पर सोडा शरीर के अंदरूनी अंगों के लिए कितना नुकसानदेह है यह हमें पता नहीं चलता। 

आपको बता दें सोडा बेस्ड सॉफ्ट ड्रिंक्स की बॉटल और कैन सस्ते प्लास्टिक और मेटल से बने होते हैं, ऐसे में नियमित रूप से इन ड्रिंक्स का सेवन करने से शरीर की प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है।

खासतौर पर प्लास्टिक बोतलों में होने वाले बीपीएस रसायन से शरीर में कई तरह की हॉर्मोनल समस्याएं होती हैं और मिसकैरेज का खतरा बढ़ जाता है इससे फर्टिलिटी भी घट जाती है। आपको जानकर हैरानी होगी की बहुत सी सोडा कंपनियां सामान्य नल के पानी का इस्तेमाल करती हैं जिसमें ढेरों बैक्टीरिया और कीटाणु होते हैं। इस तरह के पानी में लेड की मात्रा बहुत ज्यादा होती है जो इंसान के शरीर के लिए हानिकारक है और पाचन तंत्र को पूरी तरह से कमजोर कर देता है।

बहुत सी सोडा बेस्ड सॉफ्ट ड्रिंक्स में फॉसफॉरिक ऐसिड की मात्रा ज्यादा होती है और डॉक्टरों की मानें तो इस तरह के ड्रिंक्स लिवर और किडनी को बहुत नुकसान पहुंचा सकते हैं। अगर लंबे समय तक और नियमित तौर पर इन ड्रिंक्स का सेवन किया जाए तो गुर्दे संबंधी बीमारियां और किडनी स्टोन होने तक का खतरा रहता है। एक रिसर्च के मुताबिक, हर दिन सोडा बेस्ड ड्रिंक्स का सेवन करने से मोटापे का खतरा 1.6 गुना बढ़ जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक नियमित रूप से सोडा के सेवन से करीब 92 प्रतिशत वयस्कों को दातों में सड़न की समस्या होती है।

सोडा में इस्तेमाल ऐसिड दांत के इनैमल को कमजोर कर देता है नतीजतन दांत सड़ जाते हैं। इसके अलावा सोडा में मौजूद चीनी की अधिक मात्रा की वजह से भी दांतों में समस्या और सड़न हो जाती है। सोडा बेस्ड ड्रिंक्स में अक्सर सोडियम बेन्जोनेट नाम के प्रिजर्वेटिव का इस्तेमाल होता है जो ड्रिंक्स में बैक्टीरिया के ग्रोथ और खाने को सड़ने से बचाता है। मेडिकल साइंस के मुताबिक, इस प्रिजर्वेटिव की वजह से अस्थमा होने का खतरा रहता है।

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