क्या आपमें है भविष्‍य की पीढ़ियां गढ़ने का हुनर?

teaching_17_10_2015करियर बनाने के लिए यूं तो कई फील्ड्स हैं लेकिन एक फील्ड इन सबसे हटकर है। वह इस मायने में कि इस फील्ड की छत्रछाया में ही किसी भी अन्य फील्ड में करियर बनाया जा सकता है। हम बात कर रहे हैं टीचिंग फील्ड की। डॉक्टर, इंजीनियर हो या मैनेजर, साइंटिस्ट, आर्टिस्ट या फिर राइटर सभी शिक्षकों के हाथों सीखकर उस मुकाम पर पहुंचते हैं। क्या आपमें है वह बात कि आप शिक्षक के रूप में करियर बनाकर भविष्य की पीढ़ियों को गढ़ सकें…?

चाहे राजनेता हों या एंटरप्रेन्योर, एमएनसी में काम करने वाले एक्जीक्यूटिव्स हों या फिर सरकारी या निजी नौकरी कर रहे लोग, हम सबको काबिल बनाने और उपलब्धियों तक पहुंचाने में हमारे शिक्षकों का सबसे बड़ा योगदान रहता है। बचपन से लेकर युवावस्था तक की पढ़ाई के दौरान पचासों शिक्षक हमारी जिंदगी में आते हैं। इनमें से सब तो शायद याद नहीं रह पाते लेकिन कुछ अपने अंदाज, अपनी कर्मठता, अपने समर्पण और विद्यार्थियों के प्रति लगाव के कारण हमारे दिलो-दिमाग में हमेशा के लिए जगह बना लेते हैं। उनकी सीख हमेशा हमारा मार्गदर्शन करती है।

मनोविज्ञान की समझ

दूसरी नौकरियों की तरह टीचिंग को सिर्फ जॉब के नजरिये से नहीं देखा जा सकता। अगर एक टीचर अपने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन नहीं कर पाता, उन्हें दिशा नहीं दिखा पाता, तो फिर वह अपने काम को ईमानदारी से नहीं निभा रहा। माता-पिता के बाद टीचर ही किसी बच्चे के मनोविज्ञान को बेहतर तरीके से समझ सकता है। कोई बच्चा क्या पसंद या नापसंद करता है, पढ़ाई के प्रति उसमें किस तरह रुचि पैदा की जा सकती है या कैसे वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकता है, इन सभी बातों को समझने की अपेक्षा एक टीचर से की जाती है।

लगातार अपडेशन

टीचर को अपने पेशे की संवेदनशीलता को देखते हुए कभी भी टीचिंग के प्रति उदासीनता नहीं बरतनी चाहिए। आम तौर पर स्कूलों से लेकर कॉलेजों-विश्वविद्यालयों तक यह भी देखा जाता है कि एक बार टीचिंग के पेशे में आ जाने के बाद अधिकतर टीचर खुद पढ़ने या अपडेट रहने पर ध्यान नहीं देते। ऐसे में वे एक जैसी बातें या नोट्स ही हर साल, हर क्लास में दोहराते नजर आते हैं। वे इस बारे में सोचते ही नहीं कि बदलते वक्त के साथ उन्हें अपने विद्यार्थियों को भी नई जानकारियां देने की जरूरत है। देश और दुनिया में जो बदलाव हो रहे हैं, उनसे कनेक्ट करके टीचर अपने विषय में विद्यार्थियों की दिलचस्पी बढ़ा सकते हैं, उनमें जिज्ञासा की प्रवृत्ति विकसित कर सकते हैं।

जरूरत मार्गदर्शन की

देश की विशाल युवा आबादी को देखते हुए शिक्षकों की भूमिका और बढ़ रही है। माना जा रहा है कि सन् 2030 तक हमारे यहां दुनिया के सर्वाधिक युवा होंगे। जाहिर है, उस समय जो युवा होंगे, वे इस समय बच्चे हैं। ऐसे में शिक्षकों की भूमिका और महत्वपूर्ण हो जाती है। इस भूमिका को समझकर और बच्चों का समुचित मार्गदर्शन कर शिक्षक उनकी प्रतिभा को पूरी तरह से निखार सकते हैं।

 
 
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