कोई अपमानित करे, तो करें यह एक काम अपमान करने वाला भी करेगा सम्मान

दोस्तों किसी ने सच ही कहा है कि सम्मान एक ऐसी चीज है जो कमाई जाती है और इसकी कीमत रुपये-पैसे, धन नहीं होते बल्कि आपका काम होता है. कोई भी व्यक्ति अपनी कामों से ही समाज में मान-सम्मान पाता है, लेकिन कई बार ऐसा भी होता है जब दुर्जनों से आपका सामना होता है. कलियुग की शुरुआत ही जलन, ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध आदि भावनाओं के साथ हुई है.

कोई अपमानित करे. तो करें यह एक काम अपमान करने वाला भी करेगा सम्मान ऐसे में कई बार आपका सामना ऐसे हालातों से भी होता है जब गलती ना होने के बावजूद भी आपको अपमानित होना पड़ता है. कुछ ऐसे भी लोग मिलेंगे जो बिना बात ही आपका अपमान करने से नहीं चूकते, तो ऐसे में क्या किया जाए? इसका जवाब आपको गीता में शिशुपाल और श्रीकृष्ण के एक प्रसंग से मिलता है. इसके अनुसार अपने कर्मों से ही मनुष्य जाना जाता है.

इसलिए किसी के द्वारा सम्मान या अपमान किया जाना केवल उस क्षण के लिए ही होता है. आगे आपके सामाजिक जीवन में उसका कोई महत्व नहीं रह जाता, लेकिन आपके कर्म ही हमेशा याद किए जाते हैं. अगर कोई व्यक्ति बेवजह और बार-बार आपका अपमान करता है तो उसे अनदेखा करें. लेकिन हां, अगर एक सीमा से अधिक ऐसा हो तो इसका जवाब देना भी आवश्यक है.

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पर जवाब का अर्थ यह नहीं है कि आप भी बदले में उसका अपमान करें, वास्तव में ऐसा करना आपको उसके अपमान का ही हकदार बनाता है.  इसलिए यह जवाब भी आपको अपने कर्मों के द्वारा ही देना होगा. उसके अपमान की जो भी वजह हो उसे अपने कर्मों के द्वारा गलत साबित करें.

यकीन मानें, संभव है अपमान करने वाला व्यक्ति भी आपके लिए सम्मान के दृष्टि रखने लगे. अगर नहीं भी, तो उसका परिणाम अन्य सभी रूपों में आपके लिए सम्मान ही लेकर आएगा. श्रीकृष्ण और शिशुपाल के बीच एक करीबी रिश्ता होने के बावजूद संबंध अच्छे नहीं थे. शिशुपाल श्रीकृष्ण की बुआ का बेटा था, इस तरह रिश्ते में दोनों भाई थे.

इसके बावजूद शिशुपाल के मन में श्रीकृष्ण के लिए अच्छे भाव नहीं थे. इसकी वजह थी श्रीकृष्ण की पत्नी ‘रुक्मिणी’ जिससे वह कभी शादी करना चाहता था.

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