कुछ घंटों बाद पृथ्‍वी के करीब आने वाला है विशाल Asteroid, जानें भारतीय समय अनुसार कितने बजे पृथ्‍वी से गुज़रेगा

आखिर वह पल आने ही वाला है जिस पर देश व दुनिया के वैज्ञानिकों की नजरें गढ़ी हैं। अब से कुछ ही घंटों बाद यानी 29 अप्रैल, बुधवार को एक विशालकाय Asteroid उल्‍का पिंड पृथ्‍वी के करीब आने वाला है। अभी तक प्राप्‍त जानकारी के अनुसार यह पृथ्‍वी से लगभग 40 लाख मील के फासले से गुजर जाएगा और हम सुरक्षित बच जाएंगे। हालांकि NASA इसके मूवमेंट पर पूरी नज़र बनाए हुए है। यदि यह अपनी कक्षा से थोड़ा भी हिलता है तो यह मुसीबत पैदा कर सकता है। यह ईस्‍टर्न टाइम के अनुसार बुधवार सुबह 5 बजकर 56 मिनट पर और भारतीय समयानुसार दोपहर साढ़े तीन बजे के आसपास पृथ्‍वी के निकट होकर गुज़रेगा। इस घटना के बारे में हम आपको सारी अपडेट यहां देंगे।

उल्‍का पिंड को लेकर हर अपडेट यहां मिलेगी

नासा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल नासा एस्‍टेरॉयड वॉच पर इस एस्‍टेरॉयड से जुड़ी सारी ताजा जानकारी व अपडेट उपलब्‍ध है। विश्‍व भर के लोगों के मन में यदि इसे लेकर कोई सवाल, जिज्ञासा है तो उसके लिए भी खुला मंच रखा गया है। कोई भी यहां अपने सवाल पूछ सकता है जिस पर नासा के विशेषज्ञ जवाब देंगे और जिज्ञासा मिटाएंगे। नासा के सेंटर फॉर नियर अर्थ स्‍टडीज का कहना है कि 29 अप्रैल, बुधवार को ईस्‍टर्न टाइम सुबह 5.56 पर यह एस्‍टेरॉयड पृथ्‍वी के निकट होकर गुज़र जाएगा। इसकी पृथ्‍वी से टकराने की फिलहाल कोई संभावना नहीं है।

पढ़ें खास बातें एक नजर में

वैज्ञानिकों और आम लोगों सभी के लिए यह आकर्षण का केंद्र है। यह बेहद तेज है और विशाल भी। करीब 1.2 मील चौड़ा यह पिंड अपने निर्धारित समय पर बिजली की गति से तेजी से नजदीक आता जा रहा है।

इसकी रफ्तार 19 हजार किलोमीटर प्रति घंटा है। इसकी ताजा तस्‍वीर सामने आई है। मजे की बात यह है कि इसकी आकृति किसी मॉस्‍क लगाए चेहरे जैसी नज़र आ रही है। मॉस्‍क जैसी आकृति का कारण इस पर मौजूद पहाड़ी नुमा स्‍थान और खाली मैदानों की लकीरें हैं।

जब यह धरती के पास होगा तब इसकी दूरी पृथ्‍वी व चांद की दूरी की 15 गुना दूरी के समान होगी। धरती से चांद की दूरी 3 लाख किमी है, यानी यह उल्‍का पिंड पृथ्‍वी से 30 लाख से भी अधिक किमी की दूरी से गुज़र जाएगा।

यह अपने आप में बड़े आकार का है। 1998 में नासा ने इसका पता लगा लिया था, इसी के चलते इसका नाम 1998 OR2 रखा गया है।

यही उल्‍का पिंड आज से 59 साल बाद यानी वर्ष 2079 में वापस सौर मंडल में आएगा। अरेबिको वेधशाला के स्‍पेशलिस्‍ट फ्लेवियन वेंडीटी का कहना है कि 2079 में यह खतरनाक साबित हो सकता है क्‍योंकि तब इसकी पृथ्‍वी से दूरी महज 3.5 गुना ही रह जाएगी। यानी अभी इसकी आर्बिट का निरीक्षण एवं अध्‍ययन जरूरी है क्‍योंकि भविष्‍य में यह कभी भी पृथ्‍वी के लिए बड़ा संकट बन सकता है।

एक मील चौड़ा, 4 किमी विशाल

यह एस्‍टेरायड आकार में बहुत बड़ा है। इसका आकार कम से कम एक मील चौड़ा या 1.8 किमी है और पृथ्‍वी के आकाश की गणना पर आधारित 4.1 किमी जितना विशाल है। नासा एस्‍टेरायड वॉच ने दोहराया कि हालांकि यह एस्‍टेरायड पृथ्वी पर एक संभावित खतरनाक प्रभाव पैदा कर सकता है, बावजूद बहुत संभावना है कि इसका पृथ्वी पर या पृथ्वी पर कोई सीधा प्रभाव पड़ेगा।

यहां देखें आधिकारिक सूचना

Asteroid Watch के Twitter Handle पर इसकी आधिकारिक जानकारी देखी जा सकती है। यह पृथ्‍वी के बहुत पास से गुजरेगा लेकिन टकराएगा नहीं। अंतरिक्ष की भाषा में बहुत पास का मतलब भी बहुत-बहुत दूर होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जिस समय यह पृथ्‍वी के निकट से गुजरेगा तब उसकी यहां से दूरी करीब 4 मिलियन किमी यानी 40 लाख किमी होगी। इस Asteroid की गति पृथ्‍वी के पास से गुजरते समय 20 हजार मील प्रति घंटा हो जाएगी।

1998 में NASA को पता चला था

अमेरिका की अंतरिक्ष शोध अनुसंधान एजेंसी नासा NASA को इस Asteroid के बारे में वर्ष 1998 में ही पता चल गया था। वैज्ञानिकों ने इसका नाम 52768 व 1998 ओआर-2 दिया है। इसकी कक्षा चपटे आकार की है। इसकी खोज 1998 में हुई थी और तभी से वैज्ञानिक इसका लगातार अध्ययन कर रहे हैं।

1344 दिन में पूरी करता है सूर्य की परिक्रमा

यह लघुग्रह 1344 दिनों में सूर्य की एक बार परिक्रमा पूरी करता है। हालांकि यह सच है कि यह बेहद खतरनाक है। यदि यह वास्‍तव में पृथ्‍वी से टकरा जाता है तो बड़ी तबाही ला सकता है। गनीमत है कि ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा है।

2079 में यही ग्रह वापस आएगा पृथ्‍वी के निकट

इस ग्रह से अभी तो घबराने की फिलहाल कोई जरूरत नहीं है लेकिन आज से ठीक 59 साल बाद यानी वर्ष 2079 में यही लघु ग्रह के पृथ्‍वी के निकट आने की संभावना है। वैज्ञानिकों ने इसकी गणना की है। इसके अनुसार, यह 16 अप्रैल 2079 को हमारी धरती के पास से गुजरेगा। तब यह धरती से मात्र 18 किमी की दूरी से गुजरेगा। चूंकि यह दूरी अत्‍यंत कम है, ऐसे में इसके पृथ्‍वी से टकराने की गुंजाइश ना के बराबर है।

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