ओबामा ने इस कार्ड से जीता पीएम मोदी का दिल, इस किताब से हुआ खुलासा
इससे पहले भारतीय अधिकारी जलवायु परिवर्तन समझौते पर हामी भरने को राजी नहीं थे। उस दौरान अमेरिकी विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों पर ओबामा के शीर्ष सलाहकार रहे बेन रोड्स द्वारा लिखी गई किताब ‘द वर्ल्ड एट इज : ए मेमोयर ऑफ द ओबामा व्हाइट हाउस’ बुधवार को ही बाजार में आई है। अपनी किताब में उन्होंने लिखा है कि पेरिस समझौते में भारत सबसे आखिरी में शामिल हुआ, क्योंकि भारतीय अधिकारियों को मनाना अमेरिका के लिए सबसे मुश्किल भरा काम था। इसके लिए ओबामा को खुद भारतीय अधिकारियों के साथ निजी तौर पर बातचीत करनी पड़ी।
रोड्स ने लिखा, हम पीएम मोदी से मिलने को तैयार थे और बैठक कक्ष के बाहर भारतीय प्रतिनिधिमंडल के दो अधिकारियों से एनिमेटेड बातचीत भी की, लेकिन बात नहीं बनी। इसके बाद ओबामा ने मोदी के साथ करीब एक घंटे तक बातचीत की। मोदी भी भारत में कोल बिजली के सस्ता होने के कारण पेरिस समझौते पर राजी नहीं थे। अंत में ओबामा ने कहा कि वे अफ्रीकी-अमेरिकी मूल के हैं और जानते हैं कि अन्यायपूर्ण सिस्टम में रहना कैसा होता है। यह सुनकर मोदी हंसे और नीचे हाथों को देखने लगे। इसके बाद मोदी ने ऊपर देखा और पेरिस समझौते को रजामंदी दे दी।
यह सचमुच अभूतपूर्व था और प्रोटोकाल का हिस्सा नहीं था
करीब एक घंटे तक ओबामा के सामने मोदी यह तर्क देते रहे कि उनके यहां करीब 30 करोड़ लोग बिना बिजली के रहते हैं और कोयला भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने का सबसे सस्ता तरीका है। मोदी ने कहा कि उन्हें पर्यावरण की परवाह तो है लेकिन गरीबी में रहने वाले लोगों की चिंता भी जरूरी है। रोड्स ने अपनी किताब में लिखा कि ओबामा सौर ऊर्जा और क्लीन एनर्जी के बारे में तर्क देते रहे, लेकिन मोदी मानने को तैयार नहीं थे। लेकिन बाद में मोदी जब उनकी बात मान गए तो यह सचमुच अभूतपूर्व था और प्रोटोकाल का हिस्सा नहीं था।