इस सदी के सबसे बड़े ग्रहण से आपकी रक्षा करेंगे ये ख़ास चमत्कारी मंत्र

27 जुलाई 2018 को सदी का सबसे लंबा ग्रहण लगने वाला है। अनुमान लगाया जा रहा है कि यह ग्रहण लगभग 104 साल बाद लग रहा है। जो 3 घंटे 55 मिनट के लिए होगा।जो कि 27 जुलाई की मध्य रात्रि में 11 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर 28 जुलाई को प्रात: 2 बजकर 45 मिनट पर खत्म होगा। इस चंद्र ग्रहण में लोगों को सुपर ब्लड ब्लू मून देखने को मिलेगा। जिस वजह से चंद्र ग्रहण के समय चांद और ज्यादा चमकीला और बड़ा नज़र आएगा।इस सदी के सबसे बड़े ग्रहण से आपकी रक्षा करेंगे ये ख़ास चमत्कारी मंत्र

भारत के अलावा यह चंद्रग्रहण म्यांमार, भूटान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान चीन, नेपाल, अंटाकर्टिका, ऑस्ट्रेलिया, एशिया, अफ्रीका, यूरोप, दक्षिण अमेरिका के मध्य और पूर्वी भाग में दिखाई देगा।बता दें, इस दिन गुरु पूर्णिमा भी है। ग्रहण का सूतक लगने से पहले गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाना भी श्रेष्ठ माना जाता है। आइए ऐसे में जानते हैं इस ग्रहण के असर को कम करने के लिए ज्योतिषी क्या उपाय बताते हैं। 

गायत्री मंत्र 
ज्योतिषियों के अनुसार ग्रहण काल में गायत्री मंत्र का जाप करने से सभी राशि के लोगों के दोषों का निवारण होता है। इसके अलावा ग्रहण के दौरान हनुमान चालीसा और हनुमान जी के मंत्रोच्चारण से भी विशेष लाभ मिल सकता है। आमतौर पर लोगों को लगता है कि ग्रहण का असर उसके रहने तक ही रहता है लेकिन ज्योतिष शास्त्रियों की मानें तो चंद्र ग्रहण क प्रभाव 108 दिनों तक बना रहता है। उनके अनुसार जिस समय चंद्र ग्रहण लगा हो उस वक्त जाप जरूर करना चाहिए। 

इस दौरान ‘ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नम:’ या ‘ॐ सों सोमाय नम:’ का जाप करना शुभ होता है। माना जाता है कि इस वैदिक मंत्र का जाप जितनी श्रद्धा से किया जाएगा यह उतना ही फलदायक होता है।

दुर्गा सप्तशती कवच मंत्र 
ग्रहण के दौरान दुर्गा सप्तशती कवच मंत्र का पाठ करना चाहिए। यह मंत्र इस तरह है- ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै। 

दान
कहा जाता है ग्रहण के दौरान किया गया जाप और दान, सालभर किए गए दान और जाप के बराबर होता है।

क्या करें, क्या न करें  
चंद्रग्रहण में 3 पहर पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बुजुर्ग, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर पूर्व तक खा सकते हैं। जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियां डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। ग्रहण वेद के प्रारंभ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग नहीं करना चाहिए। ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए।

ग्रहण में किसी भी भगवान की मूर्ति और तस्वीर को स्पर्श नहीं चाहिए। इतना ही नहीं सूतक के समय से ही मंदिर के दरवाजे बंद कर देने चाहिए। ग्रहण के दिन सूतक लगने के बाद छोटे बच्चे, बुजुर्ग और रोगी के अलावा कोई व्यक्ति भोजन नहीं करे। गर्भावस्था की स्थिति में ग्रहण काल के समय अपने कमरे में बैठ कर के भगवान का भजन ध्यान मंत्र या जप करें।

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