इस एक काम को करने से गणपति पूरी करेंगे आपकी मुराद…

जैसे कि सबको पता है कि भगवान गणेश को कईं नामों से जाना जाता है। कोई इन्हें बप्पा कहता है तो कोई विघ्नहर्ता तो कोई इन्हें दुखहर्ता के नाम से पुकारता है। मान्यता हैं कि यह अपने भक्तोंं के सभी दुख-दर्द दूर कर देते हैं। जिस वजह से इन्हें ये नाम दिए गए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणपति अापके जीवन से वास्तुदोष को भी निकाल सकते हैं। माना जाता है कि तमाम तरह के वास्तुदोषों को दूर करने के लिए सर्वप्रथम पूज्य श्री गणेश की पूजा की जाती है।इस एक काम को करने से गणपति पूरी करेंगे आपकी मुराद...

एेसी मान्यता है कि सबसे पहले वास्तुशास्त्र के नियमों की रचना ब्रह्मा जी ने की थी। क्योंकि भगवान गणेश जी को बुद्धि के दाता माना गया है, इसलिए एेसा कहा जाता है कि इन्होंने मानव जीवन के कल्याण का पूरा ज़िम्मा उठाया हुआ है। कहते हैं कि जो कोई भी इनकी पूजा के दौरान कोई लापरवाही करता है, उसके घर-परिवार में हमेशा दरिद्रता का वास रहता है। कहा जाता है कि घर में दरिद्रता वास्तु दोष के कारण उत्पन्न होती है।

वास्तु दोषों के कारण घर परिवार के लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिसमें शारीरिक, मानसिक, आर्थिक हानि भी होती है। इसलिए वास्तुदोषों को दूर करने के लिए गणपति जी का पूजन बहुत लाभकारी होता है। श्री गणेश की आराधना के बिना वास्तु देवता को संतुष्ट नहीं किया जा सकता। बिना तोड़-फोड़ अगर वास्तु दोष को दूर करना चाहते हैं तो एक बार नीचे दिए गए उपाय को जरूर अपनाएं। 

अक्सर देखने को मिलता है कि कुछ लोग अपने घरों के मुख्य द्वार पर एकदंत की प्रतिमा या चित्र लगा होता है। कहा जाता है की घर के मुख्य द्वार पर गणेश जी का चित्र लगाने से घर में दोष उत्पन्न नहीं होते। तो अगर हो सके तो आप भी इस गणेशोत्सव घर के मेटगेट पर एकदंत की प्रतिमा या चित्र लगाएं और हो सके तो दूसरी तरफ ठीक उसी जगह पर गणेश जी की प्रतिमा इस प्रकार लगाएं कि दोनों गणेश जी की पीठ मिलती रहे। इस प्रकार से दूसरी प्रतिमा का चित्र लगाने से घर से सभी वास्तुदोष दूर होते हैं।

घर या कार्यस्थल पर किसी भी जगह वक्रतुंड की प्रतिमा या चित्र लगाएं। इससे आपको अपने कार्य में प्रगति मिलेगी और सुख-समृद्धि प्राप्त होगी। लेकिन गणेश जी की प्रतिमा लगाते समय एक बात का हमेशा ध्यान रहे कि किसी भी स्थिति में वक्रतुंड का मुख दक्षिण दिशा या नैऋत्य कोण में ना हो। ऐसी स्थिति में इसके विपरीत प्रभाव देखने को मिलेंगे। सर्वमंगल की कामना के लिए इस गणेशोत्सव सिंदूरी रंग के गणपति की आराधना करना आपके लिए लाभकारी रहेगा।

लेकिन आपको कुछ विशेष ध्यान देना होगा की विघ्नहर्ता की मूर्ति या चित्र में उनके बाएं हाथ की तरफ सूंड घूमी हुई हो। क्योंकि दाएं हाथ की तरफ घूमी हुई सूंड वाले गणेशजी की आराधना बहुत कठिन होती है।गणेशजी की स्थापना करते समय हमेशा ध्यान रखें की घर में बैठे हुए गणेशजी की स्थापना करें और कार्यस्थल पर खड़े गणेशजी का चित्र लगाएं। किंतु यह ध्यान रखें कि खड़े गणेशजी के दोनों पैर जमीन का स्पर्श करते हुए हों, इससे आपके कार्य में स्थिरता बनी रहती है और आमदनी तेजी से होने लगती है।

भवन के ब्रह्म स्थान यानि की घर के बीच में ईशान कोण एवं पूर्व दिशा में सुखकर्ता की मूर्ति या चित्र लगाना चाहिए। यह बहुत शुभ माना जाता है। इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है।

Back to top button