आस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान का मानना, करियर खत्म होने पर ही कोहली की सचिन से हो तुलना

क्रिकेट के महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली की तुलना अकसर होती रहती है। हर कोई विराट को सचिन तेंदुलकर का रिकार्ड तोड़ते हुए देखना चाहता है। सचिन से विराट की तुलना पर अब आस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग का बयान सामने आया है। रिकी पोंटिग का कहना है कि करियर के इस चरण पर भारतीय कप्तान की तेंदुलकर जैसे महान खिलाड़ी से तुलना करना गलत है। पोंटिंग ने यहां मेलबर्न क्रिकेट मैदान पर कहा, ‘‘ करियर के इस चरण पर तुलना सही नहीं है और वह भी ऐसे खिलाड़ी से जिसने 200 टेस्ट खेले हैं। सचिन को आप उस दौर से याद करते हैं जब वह करियर के लगभग आखिरी चरण में थे न कि उस समय जब वह शुरुआत कर रहे थे या बीच के दौर में थे। हर कोई विराट की तुलना उनसे करने में लगा है, लेकिन देखना होगा कि क्या वह 10, 12, 15 साल तक अंतरराष्टूीय क्रिकेट पर दबदबा बनाये रख सकते हैं।’’ 

200 टेस्ट मैच खेलना मामूली बात नहीं

उन्होंने कहा, ‘‘सचिन ने ऐसा किया और वह भी खेल के तीनों प्रारुपों में और यही एक असली चैम्पियन की निशानी है। दो सौ टेस्ट खेलना मामूली बात नहीं है। मैंने भी 168 खेले, लेकिन दो सौ की बात ही अलग है।’’ पोंटिंग ने कहा,‘‘देखते हैं कि विराट का करियर ग्राफ कैसे जाता है। उनके करियर के खत्म होने के बाद ही उनकी तुलना सचिन से की जानी चाहिये, वरना यह दोनों के साथ ज्यादती होगी।’’ 

मैदान से बाहर की कप्तानी के अलग मायने 

हाल ही में इंग्लैंड दौरे पर मिली नाकामी के संदर्भ में विराट की कप्तानी के बारे में पूछने पर पोंटिंग ने कहा कि उनके लिये मैदान से बाहर की कप्तानी अलग मायने रखती है। पोंटिंग ने कहा, ‘‘मैंने टेस्ट श्रृंखला के सारे मैच नहीं देखे। कुछ घंटे का खेल ही देखा है, लेकिन मेरे लिये कप्तानी में मैदान से ज्यादा मैदान के बाहर का पहलू अहम है।’’ उन्होंने कहा ,‘‘मैदानी भाग मसलन गेंदबाजी में बदलाव, फील्ड का जमावड़ा ये सब तीस से चालीस प्रतिशत ही है और बाकी हिस्सा मैदान से बाहर मैच से तीन-चार दिन पहले की तैयारी है, वह काफी मायने रखती है।’’ 

भारत में खेलकर बेहतर क्रिकेटर बना 

भारत में खिलाड़ी के तौर पर और मुंबई इंडियंस के कोच के रूप में अनुभव के बारे में पूछने पर पोंटिंग ने कहा कि भारत में खेलकर वह बेहतर क्रिकेटर बने। उन्होंने कहा,‘‘ मैं पचास से ज्यादा बार भारत जा चुका हूं, लेकिन शुरुआती दौरे आसान नहीं थे। जब मैंने भारत की संस्कृति को और माहौल को समझा तो मैं बेहतर खेल सका। मैं युवा क्रिकेटरों से भी कहता हूं कि भारत में खेलने के लिये पहले भारत को समझो जो हमारे देश से अलग है, लेकिन क्रिकेट का जुनून हमारा साझा है।’’ 

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