आने वाले समय में जल्द ही दो हजार के नोट भी होंगे बंद

इंदौर। पैसा कभी व्यक्तिगत संपत्ति नहीं हो सकता। जब लोग इसे कालेधन के रूप में जमा करने लगते हैं तो यह समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े गरीब और किसान के पास नहीं पहुंच पाता। यह माध्यम है इसका उपयोग करो और छोड़ दो। नोटबंदी देश और समाज की जरूरत थी। यह बात नोटबंदी के विचार के जनक कहे जाने वाले पुणे की संस्था अर्थक्रांति के प्रमुख अनिल बोकिल ने कही। उन्होंने संभावना जताई कि आने वाले समय में दो हजार के नोट भी बंद होंगे।

आने वाले समय में जल्द ही दो हजार के नोट भी होंगे बंद

आईसीए भवन में शुक्रवार शाम सीए और गणमान्य लोगों के बीच बोकिल ने नोटबंदी की जरूरत और असर पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा सरकार का खजाना किसी बहुमंजिला इमारत के ऊपर बने टैंक की तरह है। इस टैंक से पानी यानी बेहतरी के लिए धन समाज के हर व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए। अभी हो ये रहा था कि नीचे से ऊपर सप्लाय के पाइप में एक ओर ब्लैकमनी के छेद थे तो दूसरी ओर भ्रष्टाचार के। नतीजा सरकार का टैंक खाली और नागरिकों को सुविधा की सप्लाय नहीं मिल रही थी।

ब्लैकमनी से राजनेता और भ्रष्ट ब्यूरोक्रेट का गठबंधन बनता है। आखिरी कोने पर खड़ा किसान, गरीब युवा हक नहीं मिलने से या तो आत्महत्या करता है या दाऊद, नक्सली बनता है। ब्लैकमनी और भ्रष्टाचार अनअकाउंटेड पैसे से चलता है। नोटबंदी से इस तरह का पैसा सिस्टम में आ गया है। अब सारा धन ट्रेसेबल हो गया है। अब इसके फुटप्रिंट सरकार देख सकती है।

तीन तरह की अर्थव्यवस्था

बोकिल ने अर्थव्यवस्था के मॉडल बताते हुए कहा इसमें पहला शरिया या इस्लामिक है। इसमें व्यक्ति जकात यानी फर्ज समझ ईश्वर के नाम पर समाज को पैसा देता है। यह सबसे बेहतर मॉडल हो सकता है। अभी जो देश और पूरे विश्व में अर्थव्यवस्था का प्रकार है, वह पीनल कोड यानी दंड कानून के दम पर कर वसूलने वाली है। दूसरा चाणक्य वाला मॉडल है। इसमें भंवरे की तरह सरकार फूल से शहद लेती है तो बदले में परागण करती है। हम अर्थव्यवस्था के इसी मॉडल पर आगे बढ़ रहे हैं।

हम भारतीय वैसे भी कानून मानने वाले नहीं, बल्कि व्यवस्था मानने वाले लोग हैं। कानून कितना भी कठोर बना लो, भ्रष्टाचार खत्म नहीं होता। उसके लिए व्यवस्था बनाना जरूरी है। बोकिल ने कहा सरकार पिता की तरह है। आप उनसे हक का ले सकते हैं लेकिन बाजार बड़े भाई की तरह है, उससे लिया हमेशा एहसान ही होगा। सरकार को मजबूत बनाने के लिए उसे हक का टैक्स देना भी होगा। सिस्टम बना और लोगों को भरोसा हुआ कि अब 24 घंटे पानी मिलेगा तो भला फिर कौन इकट्ठा करके रखने के झंझट में पड़ेगा।

टैक्स भी होंगे खत्म

बोकिल ने कहा अर्थव्यवस्था के सुधार के अगले दौर में बड़े नोट बंद होना तय है। विमुद्रीकरण के पहले दौर में 86 प्रतिशत नोट एक साथ हटा दिए गए थे, इसलिए अर्थव्यवस्था को झटका लगा। आने वाले समय में बड़े नोट बंद होंगे लेकिन चरणबद्ध तरीके से। आरबीआई की क्लीन करंसी पॉलिसी इसी का हिस्सा है। गंदे नोट चलेंगे नहीं। बड़े नोट बैंक में गए तो फिर वापस नहीं आएंगे।

उनकी जगह छोटे नोट ले लेंगे। जाली करंसी की समस्या से मुक्ति तो मिलेगी ही, बाद में सरकार सभी टैक्स खत्म कर बैंकिंग ट्रांजेक्शन पर टैक्स वसूलेगी। संबोधन के दौरान सीए ब्रांच इंदौर के अध्यक्ष सोमदत्त सिंघल, सचिव सीए आनंद जैन और सीए अभय शर्मा के सीए आरएसएस के प्रांत प्रचारक श्रीकांत भी मौजूद थे।

यह भी बोले बोकिल

– यह गलतफहमी है कि रिजर्व बैंक में जितना सोना होता है, उतने नोट छापे जाते हैं। 1954 का यह सिस्टम अब नहीं है।

– इकोनॉमिक्स के साथ इकोलॉजी को जोड़ना भी जरूरी है।

– ब्लैकमनी के चलते ही किसान आत्महत्या करते हैं, क्योंकि उनका हक उन्हें नहीं मिलता है।

– सरकार चाहे तो सौ प्रतिशत टैक्स भी ले सकती है।

– पैसा कमाने की नहीं, उपयोग की चीज है।

– मृत्यु-बदलाव और टैक्स दुनिया में तीन ही चीजें अटल हैं।

Back to top button