आंध्र प्रदेश स्थापना दिवस: ‘धान का कटोरा’ कहा जाने इस राज्या पहले सीएम से लेकर इन बड़े नेताओं ने संभाली कमान
- नीलम संजीव रेड्डी थे राज्य के पहले मुख्यमंत्री
- लंबे समय तक राज्य में कांग्रेस का रहा है दबदबा
- वर्तमान मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने पिछले साल ही दर्ज की है प्रचंड जीत
हैदराबाद। आंध्र प्रदेश अपने समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है। भाषा के आधार पर इस राज्य का गठन 1 नवंबर 1956 को हुआ था। ‘धान का कटोरा’ कहा जाने वाला आंध्र प्रदेश आज देश के विकसित राज्यों में से एक है। मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने प्रदेश में कई ऐसी योजनाएं शुरू की, जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है।
पिछले एक साल में राज्य ने तेजी से तरक्की की है। चंद्रबाबू नायुडू के शासनकाल में जो योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई थी, उन्हें नए सिरे से शुरू किया गया है। आइए जानते हैं आंध्र प्रदेश के स्थापना से लेकर अब तक कौन-कौन नेता बने मुख्यमंत्री।
राज्य के पहले मुख्यमंत्री नीलम संजीव रेड्डी बने। अब तक आंध्र प्रदेश में कुल 17 मुख्यमंत्री बन चुके हैं, जिनमें सबसे ज्यादा कांग्रेस पार्टी के नेता शामिल रहे। कांग्रेस का राज्य में काफी दबदबा रहा है।
हालांकि समय के साथ तेलुगु देशम पार्टी और वाईएसआरसीपी की जनता तक पहुंच बनी। आज राज्य में वाईएसआरसीपी की सरकार है और 175 विधानसभा सीट में 151 पर कब्जा है।
नीलम संजीव रेड्डी
नीलम संजीव रेड्डी राज्य के पहले मुख्यमंत्री थे। उन्होंने नवंबर 1956 में आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। वह दो बार राज्य के मुख्यमंत्री बनें। उनका पहला कार्यकाल 1956 से 1960 तक रहा। इसके बाद 12 मार्च 1962 से 29 फरवरी 1964 तक फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली।
दामोदरम संजीवय्या
दामोदरम संजीवय्या राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री बने। वह पहले दलित नेता थे, जो मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे थे। दामोदरम संजीवय्या का कार्यकाल दो साल का रहा। वह 11 जनवरी 1960 से 12 मार्च 1962 तक मुख्यमंत्री रहे। वह कांग्रेस के कुशल रणनीतिकारों में से एक माने जाते थे।
कासू ब्रह्मानंद रेड्डी
कासू ब्रह्मानंद रेड्डी ने 21 फरवरी 1964 को उन्होंने आंध्र प्रदेश के सीएम पद की शपथ ली और 7 साल तक मुख्यमंत्री रहे। हैदराबाद का मशहूर एलबी स्टेडियम उन्हीं की देन है। हालांकि तेलंगाना आंदोलन की तीव्रता के कारण अनिवार्य परिस्थितियों में उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा। बाद में उन्होंने वित्त आयोग के चेयरमैन और केंद्रीय मंत्री के तौर पर काम किया।
पीवी नरसिंहा राव
पीवी नरसिंहा राव भारत के 10 वें प्रधानमंत्री के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन इससे पहले वह आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी थे। वह राज्य के चौथे मुख्यमंत्री थे। उनका कार्यकाल 30 सितंबर 1971 से 10 जनवरी 1973 तक रहा। वे आंध्र प्रदेश सरकार में 1962 से 64 तक कानून एवं सूचना मंत्री, 1964 से 67 तक कानून एवं विधि मंत्री, 1967 में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री एवं 1968 से 1971 तक शिक्षा मंत्री रहे थे।
जलगम वेन्गला राव
जलगम वेन्गला राव कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में से एक थे। पीवी नरसिंहा राव के राव के बाद उन्होंने सत्ता की कुर्सी संभाली और राज्य के अगले मुख्यमंत्री बने। वह 10 दिसंबर 1973 से 6 मार्च 1978 तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।
मर्री चेन्ना रेड्डी
मर्री चेन्ना रेड्डी का राजनीतिक अनुभव देखते हुए कांग्रेस ने उन्हें आंध्र प्रदेश का छठां मुख्यमंत्री बनाया था। जलगम वेन्गला राव के बाद उन्होंने कुर्सी संभाली और 6 मार्च 1978 से 11 अक्टूबर 1980 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। वह उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के तौर पर भी नियुक्त रहे थे।
नन्दमूरि तारक रामाराव (एनटीआर)
दक्षिण भारत के सुपरस्टार नन्दमूरि तारक रामाराव (एनटीआर) ने आंध्र की राजनीति को एक नई दिशा दी थी और कांग्रेस के आधिपत्य को एक तरह से खत्म किया था। एनटीआर ने 1982 में तेलुगु देशम पार्टी की स्थापना की थी। एनटी रामाराव आंध्र-प्रदेश के दसवें मुख्यमंत्री थे। 1983 से 1994 के बीच वह तीन बार इस पद के लिए चुने गए थे।
वाईएस राजशेखर रेड्डी
राज्य में कांग्रेस की दोबारा जमीन तैयार करने और सत्ता में लाने का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वह हैं पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी। राजशेखर रेड्डी ने टीडीपी के शासन के खिलाफ पूरे राज्य में पदयात्रा निकाली थी। गांव-गांव जाकर उन्होंने जनता से मुलाकात की और उन्हें अच्छी सरकार का आश्वासन दिया। नतीजा यह रहा कि राज्य में लंबे समय तक टीडीपी के शासन को झेल रही जनता को इससे निजात मिला और राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी। वाईएस राजशेखर रेड्डी आंध्र प्रदेश के 14वें मुख्यमंत्री बने और उनका कार्यकाल 2004 से 2009 तक रहा।
एन किरण कुमार रेड्डी
किरण कुमार रेड्डी का कार्यकाल 25 नवंबर 2010 से 1 मार्च, 2014 तक रहा। अलग तेलंगाना राज्य के बनने की घोषणा के बाद इन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था और अपनी अलग पार्टी बनाई थी। हालांकि 2018 में वह दोबारा कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए।
चंद्रबाबू नायुडू
एनटी रामाराव के निधन के बाद चंद्रबाबू नायुडू ने पार्टी के साथ-साथ प्रदेश की कमान भी संभाली। वह 1 सितंबर 1995 से 14 मई 2004 तक मुख्यमंत्री के पद पर रहे। इसके बाद वह 8 जून, 2014 से 30 मई 2019 तक मुख्यमंत्री के तौर पर एक और कार्यकाल पूरा किया। राज्य में सबसे अधिक दिन तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड है। वह टीडीपी के प्रमुख भी हैं। पिछला विधानसभा चुनाव उनकी पार्टी बुरी तरह हार गई थी, इसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
वाईएस जगनमोहन रेड्डी
साल 2009 में आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस राजशेखर रेड्डी की हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई थी। इसके बाद से ही उनके बेटे और वर्तमान मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने आंध्र प्रदेश की सियासी पारी की शुरुआत की। राज्य में टीडीपी के कुशासन को खत्म करने के लिए जगनमोहन रेड्डी ने 2017 को ‘प्रजा संकल्प यात्रा’ की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने आंध्र प्रदेश में 3648 किलोमीटर की यात्रा पूरी की।
430 दिनों तक यात्रा 13 जिलों में चली और इसमें 125 विधानसभा क्षेत्र शामिल थे। यह यात्रा 9 जनवरी 2019 को समाप्त हुई। साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में जनता ने वाईएसआरसीपी पार्टी को प्रचंड बहुमत दिया और जगनमोहन रेड्डी रेड्डी को आंध्र प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया। जगन मोहन रेड्डी ने 30 मई 2019 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।