अभय चौटाला ने नेता प्रतिपक्ष के पद से दिया इस्तीफा, बताई ये बड़ी वजह
इंडियन नेशनल लोकदल में पिछले कुछ माह से चल रही उठापटक के बाद शनिवार को इनेलो के विधायक एवं हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला ने अपने पद से सशर्त इस्तीफा दे दिया है। अपने इस्तीफे के साथ-साथ उन्होंने इनेलो से बगावत करने वाले पांच विधायकों के खिलाफ भी सख्ती दिखाते हुए स्पीकर को चिट्ठी लिखकर उन्हें अयोग्य घोषित करने मांग की है। साथ ही बागी सांसद दुष्यंत चौटाला के खिलाफ भी पार्टी अब कार्रवाई के मूड में है।
लोकसभा स्पीकर को भी इनेलो सांसद दुष्यंत चौटाला को अयोग्य घोषित करने के लिए पत्र लिखा जाएगा। स्पीकर को लिखे पत्र में अभय चौटाला ने कहा कि जिस दिन बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा, मेरा इस्तीफा भी उसी वक्त मंजूर कर लिया जाए। इनेलो के पांच विधायकों में से चार डबवाली से नैना चौटाला, उकलाना से अनूप धानक, दादरी से राजदीप फौगाट व नरवाना से पिरथी सिंह नंबरदार जननायक जनता पार्टी (जजपा) में शामिल हो चुके हैं जबकि नलवा के विधायक रणबीर सिंह गंगवा ने होली के दिन भाजपा से हाथ मिला लिया है।
इसके अलावा दुष्यंत चौटाला पहले ही अपने पिता अजय चौटाला की पार्टी जजपा का झंडा बुलंद कर चुके हैं। दुष्यंत इनेलो के सिंबल पर हिसार से सांसद हैं। हालांकि इनेलो कुनबे में यह विवाद पिछले करीब पांच महीनों से चल रहा है। लेकिन इनेलो ने अभी तक न तो अपने बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की थी और न ही अपने सांसद के खिलाफ। इनेलो को इंतजार था कि बागी विधायक व सांसद खुद ही इनेलो पार्टी से इस्तीफा दे देंगे। लेकिन दलबदल कानून के दायरे से बचने के लिए इनेलो के बागी विधायक ोंव सांसद ने भी इस्तीफे की बात से परहेज ही किए रखा।
कुर्सी पर खतरे की अटकलों को भी विराम
दूसरी ओर यह भी अटकलें लगाई जा रही थी कि इनेलो इसलिए बागी विधायकों पर कार्रवाई नहीं कर रहा है, क्योंकि ऐसा करने से हरियाणा विधानसभा में इनेलो की नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी को खतरा हो सकता है। यदि ये विधायक इनेलो से अलग होते हैं तो इनेलो विधायकों का संख्या बल कांग्रेस से भी कम हो जाएगा।
इसके नतीजतन नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी के लिए कांग्रेस का दावा पुख्ता हो जाएगा और इनेलो को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी छोड़नी पड़ेगी। लेकिन शनिवार को इनेलो की ओर से नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला ने ही तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए खुद ही नेता प्रतिपक्ष के पद से अपना इस्तीफा देकर बागियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का संदेश दे दिया है।
पुराने फैसलों और सुबूतों को इनेलो ने बनाया आधार
इनेलो ने पांचों बागी विधायकों का अयोग्य घोषित करने के लिए पुराने फैसलों और सुबूतों को आधार बनाया है। ये तमाम सुबूत विधानसभा स्पीकर को भी पत्र के साथ दिए गए हैं। इतना ही नहीं जल्द ही इनेलो के वरिष्ठ नेताओं व कानूनविदों का एक प्रतिनिधिमंडल विधानसभा स्पीकर को भी मिलेगा और जल्द से जल्द विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग करेगा।
नेता विपक्ष चौधरी अभय सिंह चौटाला, इनेलो के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव आरएस चौधरी और वरिष्ठ उपप्रधान बीरबल दास ढालिया ने बताया कि पार्टी ने विधानसभा के अध्यक्ष को एक पत्र लिखकर अवगत कराया है कि पार्टी के चुनाव चिह्न और घोषणा पत्र के आधार पर विधानसभा के लिए चुने गए पांच सदस्यों को विधानसभा की सदस्यता से तुरंत प्रभाव से अयोग्य घोषित किया जाए।
नेताओं ने कहा कि बागी विधायक पिछले कुछ समय से इनेलो विरोधी गतिविधियों में संलिप्त थे और जब से जननायक जनता पार्टी का जन्म हुआ है तभी से उसके समर्थन में राजनीतिक गतिविधि कर रहे थे। अभी हाल में संपन्न हुए जींद उपचुनाव के दौरान इन विधायकों ने इनेलो विरोधी गतिविधि की थी। नलवा के विधायक रणबीर गंगवा ने बिना विधानसभा की सदस्यता से त्याग पत्र दिए अभी हाल में भाजपा में शामिल होने की घोषणा भी है।
अभय चौटाला ने कहा कि ये पांचों सदस्य संविधान के 10वें शेड्यूल के प्रावधानों के अंतर्गत सदस्यता के लिए अयोग्य हैं और उन्हें ऐसा ही विधानसभा के अध्यक्ष द्वारा घोषित किया जाना चाहिए। अभय ने शरद यादव को राज्यसभा की सदस्यता से हटाए जाने का उदाहरण भी दिया। इसी संबंध में उन्होंने यह भी बताया कि इस सिद्धांत को रवि नायक बनाम यूनियन ऑफ इंडिया 1994 के सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले ने प्रतिपादित किया था।
उस फैसले के अंतर्गत यह कहा गया था कि यदि कोई व्यक्ति त्याग पत्र नहीं भी देता, परंतु अपनी गतिविधियों और आचरण से उस पार्टी के विरुद्ध कार्य कर रहा है, जिसने उसे चुनकर विधानसभा या राज्यसभा की सदस्यता के योग्य बनाया है, तो यह माना जाना चाहिए कि उसने स्वेच्छा से उस पार्टी की सदस्यता को त्याग दिया है। इसी आधार पर वह संसद या विधानसभा की सदस्यता के लिए भी अयोग्य समझा जाएगा।