अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति सम्मेलन में प्रतिभाग हेतु डा. जगदीश गांधी दक्षिण कोरिया रवाना

लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल के संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी दक्षिण कोरिया में आयोजित हो रहे ‘विश्व के धार्मिक संगठनों के अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति सम्मेलन’ में भारत का प्रतिनिधित्व करने हेतु आज दक्षिण कोरिया रवाना हो गये। इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रतिभाग हेतु एच.डब्ल्यू.पी.एल. के चेयरमैन मैन ही ली ने डा. गाँधी को विशेष रूप से आमन्त्रित किया था। सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी हरि ओम शर्मा ने बताया कि दक्षिण कोरिया रवानगी से पूर्व विद्यालय के शिक्षकों व कार्यकर्ताओं ने अमौसी एअरपोर्ट पर डा. जगदीश गाँधी को शुभकामनाएं दी। श्री शर्मा ने बताया कि यह अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति सम्मेलन ‘हीवेनली कल्चर, वर्ल्ड पीस, रिस्टोरेशन ऑफ लाईट (एचडब्ल्यूपीएल)’’ के तत्वावधान में 17 से 19 सितम्बर तक दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में किया जा रहा है, जिसमें विश्व के विभिन्न देशों के विद्वान, विचारक, दार्शनिक, धर्मावलम्बी व न्यायविद् आदि प्रतिभाग कर रहे हैं। यह अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘कोलैबरेशन फॉर पीस डेवलपमेन्ट: बिल्डिंग ए पीस कम्यूनिटी थ्रु द डिक्लेरेशन ऑफ पीस एण्ड सीजेशन ऑफ वॉर’ थीम पर आयोजित है जिसका उद्देश्य विश्व एकता एवं विश्व शान्ति के महान लक्ष्य के प्रति पूरे विश्व समाज को जागरूक करना है। सी.एम.एस. के इण्टरनेशनल रिलेशन्स के हेड श्री शिशिर श्रीवास्तव भी डा. जगदीश गाँधी के साथ दक्षिण कोरिया रवाना हुए हैं। डा. गाँधी 21 सितम्बर को स्वदेश लौटेंगे।

श्री शर्मा ने बताया कि इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में डा. गाँधी धार्मिक समन्वय, भारत की ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की संस्कृति एवं विश्व के ढाई अरब बच्चों के सुरक्षित भविष्य पर अपने विचार रखेंगे। डा. गाँधी का मानना है कि जब तक विश्व समुदाय में एकता, समानता व शान्ति का वातावरण नहीं बनेगा, तब तक भावी पीढ़ी का भविष्य भी सुरक्षित नहीं है। विश्व के ढाई अरब बच्चे अपने लिए सुरक्षित भविष्य चाहते हैं जहाँ भावी पीढ़ी एकता, शान्ति, सहयोग व सौहार्द के वातावरण में फल-फूल सके। डा. गाँधी के इस सम्मेलन में प्रतिभाग करने से विश्व एकता व विश्व शान्ति के विचारों को प्रभावी तरीके से विश्व समाज के समक्ष रखने का अभूतपूर्व अवसर उपलब्ध होगा जो आगे चलकर विश्व के ढाई अरब बच्चों व आने वाली पीढ़ियों के लिए ऐसा वातावरण तैयार करने में मददगार होगा जहाँ भावी पीढ़ी एकता, शान्ति, सहयोग व सौहार्द के वातावरण में फल-फूल सके।

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