अदालत ने ट्रंप को बड़ा झटका देते हुए उनके उस विवादित शासकीय आदेश को बहाल करने से किया, इनकार

अमेरिका की एक अपीली अदालत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बड़ा झटका देते हुए उनके उस विवादित शासकीय आदेश को बहाल करने से इनकार कर दिया जिसमें सात मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों के अमेरिका में दाखिल होने पर रोक लगाई गई थी। ट्रंप ने इस निर्णय को एक ‘राजनीतिक फैसला’ करार दिया है। न्यायाधीशों ने सर्वसम्मति से पारित आदेश में कहा, ‘हमारा मानना है कि सरकार इसके गुण-दोषों पर खरी नहीं उतरी है और न ही वह यह दिखा पाई है कि स्थगन का आदेश न आने से कोई अपूरणीय क्षति हो जाएगी। इसलिए हम स्थगन की मांग करने के लिए लाए गए इस आपात प्रस्ताव को खारिज करते हैं।’अदालत ने ट्रंप को बड़ा झटका देते हुए उनके उस विवादित शासकीय आदेश को बहाल करने से किया, इनकार

सैन फ्रांसिस्को स्थित ‘नाइंथ यूएस सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स’ की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, ‘सरकार ने ऐसे किसी सबूत का उल्लेख नहीं किया है जिससे यह पता चले कि नामित देशों में से किसी एक देश ने भी अमेरिका में आतंकी हमला करवाया है।’ ट्रंप ने पिछले महीने शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किया था जिसके तहत ईरान, लीबिया, इराक, सोमालिया, सूडान, सीरिया और यमन के नागरिकों के अमेरिका में दाखिल पर होने पर 90 दिनों, शरणार्थियों के आने पर 120 दिनों तथा सीरियाई शरणार्थियों के आने पर अनिश्चितकालीन समय के लिए रोक लगाई गई थी। संघीय अदालत ने इस आदेश पर रोक लगाई हुई है।

अपीली अदालत की ओर से सुनाया गया यह फैसला ट्रंप प्रशासन के लिए एक बड़ा झटका है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि उसका विधायी आदेश चरमपंथी इस्लामी आतंकियों को देश में प्रवेश करने से रोकने के लिहाज से एक बड़ा कदम था। ट्रंप ने अदालत के आदेश पर जल्दी ही प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया। सैन फ्रांसिस्को स्थित नाइन्थ कोर्ट ऑफ अपील के फैसले पर गहरी निराशा जाहिर करते हुए ट्रंप ने लिखा, ‘आपसे अदालत में मिलते हैं, हमारे देश की सुरक्षा दांव पर है।’ ट्रंप प्रशासन ने अदालत से मांग की थी कि वह सिएटल की एक संघीय अदालत द्वारा उसके शासकीय आदेश पर लगाई गई रोक को हटा ले। सिएटल की अदालत ने यह फैसला वाशिंगटन राज्य की अपील पर सुनाया था।

सैन फ्रांसिस्को की अदालत ने इस सप्ताह की शुरुआत में इस मामले पर एक मौखिक सुनवाई की थी। पीठ में न्यायाधीश विलियम सी कैन्बी जूनियर, रिचर्ड आर क्लिफ्टन और मिशेल टी फ्राइडलैंड शामिल थे। अदालत ने कहा, ‘हालांकि अदालतें आव्रजन और राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में राष्ट्रपति के नीतिगत फैसलों का पर्याप्त सम्मान करती हैं लेकिन संघीय न्यायपालिका के पास यह भी अधिकार है कि वह विधायिका के कदम से पेश होने वाली संवैधानिक चुनौती पर निर्णय दे सकती है। उसके इस अधिकार पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता।’ फैसले के बाद संवाददाताओं से संक्षिप्त बातचीत के दौरान ट्रंप ने इसे राजनीतिक फैसला बताया।

एनबीसी न्यूज के अनुसार ट्रंप ने कहा, ‘यह एक राजनीतिक फैसला है लेकिन हम उन्हें अदालत में देख लेंगे। यह महज एक फैसला है, जो फिलहाल आया है, लेकिन मामले में जीत हमारी ही होगी।’ हालांकि ट्रंप के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस फैसले पर खुशी का इजहार किया। भारतीय-अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल ने कहा, ‘संविधान की जीत हुई।’ उन्होंने कहा, ‘यह लोकतंत्र की एक बड़ी जीत है। यह हमारे देश और दुनियाभर में रहने वाले हमारे परिवारों के लिए बड़ी जीत है।’

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