अगर आप भी भगवान की पूजा करते समय स्टील के बर्तन का करते है प्रयोग, तो आज ही कर दें बंद

कहते हैं देवी-देवताओं की पूजा में कई प्रकार के बर्तनों का उपयोग किया जाता है जो अलग अलग धातु के बने होते हैं. जी हाँ, ऐसे में बहुत से लोग ऐसे हैं जो अपने घर में पूजा-पाठ करते समय स्टील के बर्तनों का भी उपयोग करते हैं लेकिन यह धातु पूजा-पाठ के लिए शुभ नहीं मानी जाती है. जी हाँ, कहते हैं जिन धातुओं को पूजा के लिए वर्जित किया गया है, उनका उपयोग नहीं करना चाहिए वरना धर्म-कर्म का पुण्य फल प्राप्त नहीं हो सकता है. ऐसे में शास्त्रों के अनुसार अलग-अलग धातु अलग-अलग फल देती है और इसके पीछे धार्मिक कारण के साथ ही वैज्ञानिक कारण भी है. ज्योतिषों के अनुसार यह माना गया है कि सोना, चांदी, पीतल और तांबे की बर्तनों का उपयोग शुभ माना गया है और पूजन में स्टील, लोहा और एल्युमिनियम धातु से बने बर्तन वर्जित बताए गए हैं.अगर आप भी भगवान की पूजा करते समय स्टील के बर्तन का करते है प्रयोग, तो आज ही कर दें बंद

बताया गया है कि पूजा और धार्मिक कार्यों में लोहा, स्टील और एल्युमिनियम को अपवित्र धातु कहा जाता है और इन धातुओं की मूर्तियां भी पूजा के लिए श्रेष्ठ नहीं मानी गई है. इसी के साथ लोहे में हवा, पानी से जंग लग जाता है और एल्युमिनियम से भी कालिख निकलती है. ऐसे में पूजा में कई बार मूर्तियों को हाथों से स्नान कराया जाता है, उस समय इन मूर्तियों को रगड़ा भी जाता है और ऐसे में लोहे और एल्युमिनियम से निकलने वाली जंग और कालिख का हमारी त्वचा पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए लोहा, एल्युमिनियम को पूजा में वर्जित गया है.

ज्योतिषों के अनुसार पूजा में वर्जित धातुओं का उपयोग करने से पूजा सफल नहीं हो सकती है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि स्टील मानव निर्मित धातु है, जबकि पूजा के लिए प्राकृतिक धातुएं श्रेष्ठ मानी जाती हैं. वहीं सोने चांदी के बर्तन पूजा में इस्तेमाल करने से जंग नहीं लगती है.

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