मोदी का महाफैसला: विदेशी बैंकों का सारा कालाधन वापस लाकर होगा गरीबों में वितरण

मोदी का महाफैसला: विदेशी बैंकों का सारा कालाधन वापस लाकर होगा गरीबों में वितरण… नोटबंदी के बाद सरकार की नजर अब विदेशी बैंकों में जमा भारतीयों के कथित रूप से लाखों करोड़ रु पर है। सूत्रों की मानें तो सरकार ने इन पैसों को भारत लाने की तैयारी भी शुरू कर दी है। हालांकि यह प्रक्रिया बेहद जटिल होने से इसमें काफी समय लगेगा। लेकिन सरकार अब साफ मैसेज देना चाहती है कि वह इस मामले में भी गंभीर है।

मोदी का महाफैसला: विदेशी बैंकों का सारा कालाधन वापस लाकर होगा गरीबों में वितरण

यह भी पढ़ें:- खुशखबरी: मोदी सरकार ने आम जनता के खातों में भेजे 21 हजार करोड़

सरकार पर आम लोगों का भारी दबाव है, क्योंकि नरेंद्र मोदी ने हर परिवार के खाते में विदेशों से लाकर 15 हजार रु. डालने का वादा किया था। अलबत्ता सत्ता में रहने के दौरान इस मामले में ठोस कोशिश से बचती रही कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल इसे राजनीतिक मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं गंवा रहे हैं।

ऐसे में नोटबंदी की मार से बेहाल लोगों में जा रहे गलत मैसेज की राजनीतिक कीमत को देखते हुए अब सरकार के लिए इस तरफ कदम बढ़ाना मजबूरी हो गई है। इसीलिए मोदी इन दिनों इसके संकेत दे रहे हैं। हालांकि 22 नवंबर 2016 को स्विस सरकार से वित्तीय जानकारियों की शेयरिंग भी 2019 के सितंबर के बाद शुरू होगी।

यह भी पढ़ें:- सनसनी: 500 और 1000 के नोट बैंक में जमा करने पर रोक, फैसला आज से लागू 

नोटबंदी की विफलता से प्रेरित कदम
अधिकांश एक्सपर्ट का मानना है अगर सरकार इस तरह का कोई कदम उठाती है तो वह नोटबंदी की विफलता से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए ही होगा। पिछले 5 साल में मारे गए आईटी छापों से साफ है कि ब्लैकमनी का महज 5-6 फीसदी हिस्सा ही कैश के रूप में लोगों के पास होता है। बाकी हिस्से को लोग जमीन, शेयर, सोना जैसे तमाम इन्वेस्टमेंट इन्स्ट्रूमेंट में निवेश कर देते हैं। इस 5-6 फीसदी रकम को व्हाइट बनाने के लिए भी लोगों ने तमाम तरह के उपाय निकाल लिए हैं।

यह भी पढ़ें:- इंडियन आर्मी के फायरिंग से डरा पाकिस्‍तान; पाक ने फोन पर मांगी माफी

आंखों में धूल झोंकने की कोशिश
जेएनयू के प्रोफेसर व ब्लैकमनी एक्सपर्ट अरुण कुमार ने बताया कि सरकार इस मामले में कोशिश तो कर सकती है। लेकिन सिक्रेसी क्लाउज के कारण यह संभव नहीं है। सरकार को चोरी का वह रास्ता अख्तियार करना होगा, जिसे जर्मनी, फ्रांस ने अपनाया। जर्मनी ने लीटेंस्टीन बैंक के सबसे सीनियर अधिकारी को रिश्वत देकर उनसे आंकड़े लिए। अमरीका ने धौंस का यूज किया। उसने क्रेडिट सूईस और यूनियन बैंक ऑफ स्विट्जरलैंड के अधिकारियों को गिरफ्तार कर पूरी लिस्ट निकलवा ली।

यह भी पढ़ें:- सिर्फ 30 घंटे में 10 सवाल से ऐसा मोदीमय हुआ हिंदुस्तान कि सहम गये विपक्षी
सरकार वे उपाय करे, जो संभव हैं
कुमार के अनुसार सरकार को हवाला बंद करने, डायरेक्ट टैक्स कोड लागू करने और लोकपाल नियुक्त करने जैसे कदम उठाने चाहिए। जर्मनी, फ्रांस और यूएस को मिली लिस्ट में भारतीयों के भी नाम हैं। एचएसबीसी, ब्रिटिश वर्जिन आयलैंड आदि ने कुछ नाम शेयर भी किए हैं। लेकिन मोदी सरकार ने अभी तक उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की है।

Back to top button