एक फादर ऑफ बम भी गिरा दो, पर अब इस अजाब से छुटकारा मिले

 मदर ऑफ ऑल बॉम्स तो क्या, एक फॉदर ऑफ ऑल बॉम्स भी ले आओ। उसे भी गिरा दो पर, अब इस अजाब (मुश्किल) से हमें छुटकारा मिले। यह कहना है अफगानिस्तान के लोगों का, जहां अमेरिका ने गुरुवार को विश्व का अब तक का सबसे बड़ा गैर परमाणु बम (मदर ऑफ ऑल बॉम्स) गिराया। उनकी आवाज में मायूसी नहीं, बल्कि सुकून है।

उत्‍तर कोरिया का तानाशाह ने दिया ऐसा बयान,जिसे सुनकर पूरा देश हुआ…

एक फादर ऑफ बम भी गिरा दो, पर अब इस अजाब से छुटकारा मिले

अफगानिस्तानी ड्राय फ्रूट्स के नाम पर बिक रहे मिलावटी सामान के खिलाफ असली सामान को प्रमोट करने अफगानिस्तान चेंबर ऑफ कॉमर्स के दो नुमाइंदे इंदौर आए हुए हैं। हेड ऑफ फॉरेन एक्जिबिशन और फाइनेंस मैनेजर (ट्रेड) कामरान खान बताते हैं दुनिया सोच भी नहीं सकती है कि दान ए दाइश और आईएस जैसे आंतकी संगठनों ने हमारी क्या हालत बना दी है।

राजधानी काबुल में ये हालात हैं कि सुबह दुकान के लिए घर से निकलते हैं तो पता नहीं होता कि शाम को लौटेंगे या नहीं। कहीं भी किसी चौराहे की लाल बत्ती पर सुसाइडर बम (आत्मघाती आतंकवादी) खड़ा मिल जाता है। लगभग 3.5 करोड़ की आबादी वाले देश में 70 फीसदी लोग इस घटना से खुश हैं, क्योंकि हम रोज इस तरह मरते-मरते थक गए हैं।

अफसर से पूछा- दो साल इंतजार क्यों?

अफगानिस्तान के जिस नंगरहार इलाके में हमला हुआ, उसके पास के इलाके में ही कामरान खान के रिश्तेदार करीबीउल्ला हिजरत बतौर डिप्टी जनरल पदस्थ हैं। कामरान कहते हैं मैंने खैरियत पूछने के लिए फोन लगाया तो उन्होंने बताया आतंकियों से निपटने के लिए यही एक रास्ता बचा था। मैंने उनसे सवाल किया कि दो साल इंतजार क्यों किया? 18-20 हजार लोग आतंकी हमलों में मरने से बच जाते।

पाकिस्तान चाहता ही नहीं अफगान में व्यापार पनपे

सात मुल्कों से घिरे अफगानिस्तान में पेट्रोलियम, कॉपर, ऑइल और चांदी-सोने का भंडार है। इसके अलावा ड्राय फ्रूट्स का बड़ा कारोबार है। इस हमले को लेकर दुनिया भले ही तमाम मायने गढ़े, लेकिन कामरान और सहयोगी जवाद खान का मानना है माकूल माहौल हो तो अफगानिस्तान दुनिया का सबसे बड़ा कारोबारी देश बनकर उभर सकता है। यकीन न हो तो 2000 से 2005 के बीच जब शांति रही, उस समय अफगानिस्तान की इकोनॉमी ग्रोथ देखिए। वे कहते हैं 2005 में पाकिस्तान जैसे देशों को खतरा होने लगा और उन्होंने हमारे देश में ही आतंकियों का बेस कैंप बनाना शुरू कर दिया। 2007 से हमारी अर्थव्यवस्था फिर लड़खड़ा गई।

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