उत्तराखंड के हल्द्वानी की लैब में H3N2 वायरस के दो मरीजों में हुई पुष्टि

एच3एन2 (H3N2) वायरस ने उत्तराखंड में भी दस्तक दे दी है। हल्द्वानी की लैब में दो मरीजों में एच3एन2 वायरस की पुष्टि हुई है। इनकी जांच मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में कराई गई थी। स्वास्थ्य विभाग ने अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। एसटीएच के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ.परमजीत सिंह ने बताया कि लगभग रोज ही तेज बुखार, सिरदर्द, खांसी, सर्दी-जुकाम के 30 से ज्यादा मरीज आ रहे हैं।

इनमें से ज्यादातर मरीजों को चिकित्सीय परामर्श के बाद घर भेज दिया गया। इस बीच माइक्रोबायोलॉजी विभाग की जांच में आई रिपोर्ट में दो मरीजों में एच3एन2 वायरस की पुष्टि हुई है। माइक्रोबायोलॉजी विभाग में शहर व आसपास के अस्पतालों में आने वाले बुखार, सर्दी-जुकाम के मरीजों के सैंपलों की जांच की जा रही है।

उधर, माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ.उमेश ने एच3एन2 के दो मरीजों के मिलने की पुष्टि की। उनका कहना है कि जिनकी प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होगी, उन्हें एच3एन2 वायरस ज्यादा प्रभावित नहीं करेगा। ऐसे में इसे लेकर घबराने की जरूरत नहीं है।

एच3एन2 के लक्षण
विशेषज्ञों के अनुसार, नाक बहना, तेज बुखार, खांसी (शुरुआत में गीली और बाद में लंबे समय तक सूखी), गले में खराश, छाती में जकड़न, मांसपेशी-जोड़ों में दर्द, सिरदर्द और थकावट जैसी समस्या मरीजों में देखी जा रही है।

इन्हें ज्यादा खतरा
गर्भवती महिलाएं, पांच साल से कम उम्र के बच्चे और बुजुर्ग एवं सांस या दमा से जूझ रहे मरीज, डॉक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मचारी।

लोग इन बातों का रखें खास ख्याल
डॉक्टरों के अनुसार, मास्क पहनें और भीड़ वाली जगह जाने से बचें। अपनी आंखों और नाक को बार-बार छूने से बचें। खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को ढककर रखें। इसके साथ ही, बुखार या बदनदर्द होने पर पैरासिटामोल ले सकते हैं। ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ लेते रहें। दूसरों से हाथ मिलाने से बचें और सार्वजनिक जगह पर न थूकें। डॉक्टर की सलाह के बिना एंटीबायोटिक दवाएं न लें। आसपास या नजदीक बैठकर खाना न खाएं।

कोविड और इंफ्लूएंजा के बीच अंतर को समझें
विशेषज्ञों के मुताबिक, कोविड लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट को प्रभावित करता है, जबकि इंफ्लूएंजा वायरस अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट पर असर डालता है, जिसमें बुखार, सर्दी, गले में समस्या, खांसी जैसे लक्षण लंबे समय तक चलते हैं। वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. एनएस बिष्ट और डॉ. प्रवीण पंवार के मुताबिक, गर्म कपड़े पहनना ना छोड़ें। अभी ठंडा पानी और कोल्ड ड्रिंक्स न पीएं। पंखा न चलाएं और गुनगुना पानी पीएं। डॉक्टर ने बताया कि सांस, दमा और दिल के मरीज अतिरिक्त सर्तकता बरतें।

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